एटी-वन अमानगढ़ का सबसे ताक़तवर बाघ
बिजनौर | एटी-वन यानी अमानगढ़ टाइगर-वन. दो बाघों की जान ले चुके एटी-वन का अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व में एकछत्र राज क़ायम हो गया है. अपने इलाक़े तक सीमित रहने के बजाय वह पूरे जंगल में घूमता है. अतिक्रमण की इस बेजा हरकत के बावजूद दूसरे बाघों ने उस पर कभी हमला नहीं किया.
अमानगढ़ में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. ताज़ा गणना में वहां 27 बाघ मिले हैं. अमानगढ़ वन रेंज की सीमा झिरना, ढ़ेला, पतरामपुर और जिम कॉर्बेट से मिलती हैं. पिछले साल बाघों की गिनती होने से पहले वर्चस्व की लड़ाई में दो बाघ जान गंवा चुके थे. एक बाघ को हाथी ने पटक कर मारा था, जबकि बाघिन को एक बाघ ने ही मारा था.
वन विभाग के कर्मचारियों को अमानगढ़ की जसपुर बीट में 14 अप्रैल को एक बाघिन का शव मिला था. उसके शरीर पर तमाम चोटों के निशान थे और उसके शव को खाया भी गया था. बाघिन से 20 मीटर दूर एक चीतल भी मरा मिला था. वह भी करीब 80 प्रतिशत खाया हुआ था. वहां हर जगह बाघ का खून मिला था.
जांच में पता चला कि एक बाघ ने ही बाघिन की जान ली है. वहीं दूसरे बाघ के घायल होने का भी पता चला था. 26 अक्तूबर 2016 को भी अमानगढ़ में एक नर बाघ का शव मिला था. उसकी मौत भी दूसरे बाघ से संघर्ष में हुई थी. इसके शव को भी खाया गया था. उनकी यह भिडंत वाटर होल के पास हुई थी.
दोनों बार बाघ की मौत के बाद मौक़े पर ट्रैप कैमरे लगाए गए थे. 2017 और 2020 में दोनों ट्रैप कैमरों में कैद बाघ के फ़ोटो के शरीर के निशान आदि का मिलान करने पर वे फ़ोटो एक ही बाघ के निकले. इस बाघ को एटी-वन (अमानगढ़ टाइगर वन) नाम दिया गया है.
अमानगढ़ में इस साल हुई गणना के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरों में एटी-वन की तस्वीरें पूरे जंगल में मिली हैं. आमतौर पर बाघ कुछ किलोमीटर का अपना इलाक़ा तय कर लेते हैं और उनकी गतिविधियाँ इस इलाक़े तक ही सीमित रहती हैं, मगर एटी-वन इसका अपवाद है. पूरे अमानगढ़ में दहाड़ मारते घूमने वाले एटी-वन को अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व का सबसे शक्तिशाली और खूंखार बाघ माना जा रहा है.
डीएफ़ओ डॉ.एम.सेम्मारन के मुताबिक पूरे अमानगढ़ में ही जगह-जगह एटी-वन के फ़ोटो ट्रैप कैमरे में क़ैद हुए हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है. यानी जंगल के बाक़ी बाघ भी उसकी ताक़त का लोहा मान चुके हैं.
कवर | प्रतीकात्मक तस्वीर
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