नई किताब के साथ विश्वनाथ त्रिपाठी के जन्मदिन का जश्न

  • 9:06 pm
  • 16 February 2024

नई दिल्ली | विश्व पुस्तक मेला में शुक्रवार को राजकमल प्रकाशन के स्टॉल जलसाघर में विश्वनाथ त्रिपाठी की नई किताब के लोकार्पण के साथ उनका जन्मदिन मनाया गया. जलसाघर में उनकी नई आलोचनात्मक कृति ‘हरिशंकर परसाई : देश के इस दौर में’ और हरिशंकर परसाई के अप्रकाशित व्यंग्य लेखों का संग्रह ‘भोलाराम का जीव’ का लोकार्पण श्री त्रिपाठी के हाथों हुआ.

इस मौक़े पर उन्होंने अपने जीवन से जुड़े आत्मीय संस्मरण साझा किए. कहा, “आज तक मैंने कभी अपनी किसी किताब का लोकार्पण नहीं कराया है, यह तो अशोक जी का प्रेम और आत्मीयता है कि मैं उनका अनुरोध अस्वीकार नहीं कर पाया. राजकमल से मेरा लंबे अरसे से संबंध रहा है, जो नित नए-नए प्रतिमान रच रहा है. मुझे ओमप्रकाश जी याद आते हैं, उन्होंने जिस आस के साथ इस प्रकाशन की शुरूआत की थी अशोक जी ने उसे बरक़रार रखा है. मेरी बहुत सी किताबें यहाँ से छपी हैं, राजकमल से किताबें प्रकाशित होना किसी सम्मान और पुरस्कार से कम नहीं हैं. मेरे जन्मदिन पर इस आयोजन से मैं अभिभूत हूँ.”

राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, “जब मैंने प्रकाशन व्यवसाय में क़दम रखा था, उस समय से ही त्रिपाठी जी का स्नेह और आशीर्वाद लगातार मुझे मिलता रहा है. आज त्रिपाठी जी का जन्मदिन भी है. हम यह कामना करते हैं कि वह शतायु हों और उनका स्नेह हम सबको ऐसे ही मिलता रहे.”

मंचासीन वक्ताओं में प्रो. नीरज कुमार ने कहा, “गुरूजी की आलोचना साहित्य के पाठक तैयार करती है. इन्हें पढ़कर यह सीखा जा सकता है कि रचना को कैसे पढ़ा जाए.” कर्ण सिंह चौहान ने कहा “गुरूजी के भीतर सिद्धांत भी है, वाक् भी है अंग विच्छेप की पहुँच भी है. ऐसा हिंदी साहित्य में अन्यत्र पाना दुर्लभ है.” प्रो.अनिल राय ने कहा “समाज में व्यंग्य की क्या आवश्यकता है, यह बहुत ही सारगर्भित तरीक़े से इस पुस्तक में पढ़ने को मिलता है.”

‘घड़ी दो घड़ी’ पर बातचीत
शुक्रवार को पहले सत्र में बसंत त्रिपाठी के कविता संग्रह ‘घड़ी दो घड़ी’ पर संजीव कौशल ने उनसे बातचीत की. संजीव ने कहा, “इस संग्रह की कविताओं में मनुष्य की बेचैनी देखने को मिलती है जो एक बेहतर दुनिया का स्वप्न देखते हैं.” ख़ुद कवि ने कहा, “मेरे मन में जो बिंब आए उसी की संवेदना और छटपटाहट को मैंने इस संग्रह में प्रस्तुत किया है. इसमें मैंने किसी महात्मा की तरह रास्ता नहीं दिखाया बल्कि आज के समाज में मनुष्य जो टुकड़े-टुकड़े में जीवन जी रहा है, उसकी जो वैचारिक उलझनें हैं, मनुष्य न हो पाने की उलझनें हैं, यह उसी की अभिव्यक्ति है.” उन्होंने अपने नए संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ भी किया.

‘देह ही देश’ का लोकार्पण
गरिमा श्रीवास्तव की किताब ‘देह ही देश’ के लोकार्पण के मौक़े पर अभय दूबे और निशा नाग भी साथ रहे, संचालन पवन साव ने किया. परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि यह डायरी युद्ध की उस विभीषिका को दर्शाती है जो स्त्रियों की देह पर लड़े गए हैं. लेखक ने कहा, “इस पुस्तक की रचना के दौरान मैंने उनसे बातचीत की जिनके बारे में मैं नहीं जानती थी. मैंने उनसे सहज बातचीत की है, हालाँकि यह यात्रा मेरे लिए सरल नहीं थी. कई जगह मुझे तिरस्कार और अपमान भी झेलना पड़ा क्योंकि उत्पीड़क अपनी बात बताने को तैयार नहीं थे. इस यात्रा के दौरान मैंने यही पाया कि हर जिस्म दुःखी है, हर आत्मा झूठी है.”

संपत सरल का नया व्यंग्य संग्रह
व्यंग्य संग्रह ‘निठल्ले बहुत बिजी हैं’ के लोकार्पण के मौक़े पर रमाशंकर सिंह ने लेखक संपत सरल से बातचीत की. उन्होंने अपने नए संग्रह से अंशपाठ किया. रामाशंकर सिंह ने बताया कि यह संग्रह तीन भागों में बंटा हुआ है, जिसमें पहले सरकार, नागरिक और अन्य चीजों के बारे में है, दूसरे भाग में लेखक की बात है तो वहीं तीसरे भाग में इस समय की सरकारों की प्रतिक्रियाएं का हाल है.” संपत सरल ने कहा कि हम अब एक ऐसे समय में आ गए हैं कि समाज से हँसी बिलकुल गायब हो चुकी है. मेरा यह किताब लिखने का मक़सद यही है कि लोग हँसते रहे. इस हँसी के साथ ही मैं एक संदेश भी समाज को देना चाहता हूँ.

‘ज़िक्रे यार चले: लव नोट्स’
पल्लवी त्रिवेदी की कई किताब ‘ज़िक्रे यार चले: लव नोट्स’ के लोकार्पण के मौक़े पर सुदीप्ति ने उनसे बातचीत की. सुदीप्ति ने कहा कि इस किताब के तल में प्रेम का समूचा संसार है! ये वैसे ही हैं, जैसे रहती है, चाहे वह जो रूप-रंग ले ले. इस पुस्तक में प्रेम की संरचना पानी की आणविक संरचना H₂O की सी ही है – दो अणु मोह – एक अणु समर्पण, एक अणु पीड़ा. पल्लवी ने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ग़ज़ल ज़िक्रे यार चले गाई. उन्होंने कहा, “सबके लिए प्रेम व्यवहार और उनकी अपेक्षाएँ अलग होती हैं. हम यह तय नहीं कह सकते कि कोई व्यक्ति कैसे व्यवहार करेगा क्योंकि सबकी परिस्थितियाँ अलग होती हैं.”

मैनेजर पाण्डेय की किताब का लोकार्पण
मैनेजर पाण्डेय की किताब ‘दारा शुकोह: संगम-संस्कृति का साधक’ का लोकार्पण विश्वनाथ त्रिपाठी ने किया. श्री त्रिपाठी जी ने कहा कि मैनेजर पांडेय जी वैसे तो उम्र में मुझसे करीब दस साल छोटे थे. लेकिन उनका स्वास्थ्य कभी स्थिर नहीं रहा. इसी वजह से वह बहुत जल्दी दुनिया से चले गए. संचालक धर्मेन्द्र सुशान्त ने किताब का परिचय देते हुए कहा कि यह किताब मैनेजर पांडेय की एक बड़ी योजना का हिस्सा है. वह दारा शुकोह के जीवन और देश की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने के लिए दिए गए योगदान पर और भी काम करना चाहते थे लेकिन उनके असामयिक निधन के कारण वह योजना अधूरी रह गई.

कल आएंगी निर्मल वर्मा और गगन गिल की किताबें
जलसाघर में 17 फरवरी को दोपहर साढ़े तीन बजे निर्मल वर्मा और गगन गिल की किताबों का लोकार्पण होगा. शैलजा पाठक की किताब ‘कमाल की औरतें’; विनय कुमार की किताब ‘आत्मज’; प्रत्यक्षा की किताब ‘अतर : दुनिया में क्या हासिल’; देवेश की किताब ‘मेट्रोनामा : हैशटैग वाले क़िस्से’; विनीत कुमार की किताब ‘मीडिया का लोकतंत्र’; सौम्य मालवीय की किताब ‘एक परित्यक्त पुल का सपना’ का लोकार्पण होगा. आरती के कविता संग्रह ‘मूक बिम्बों से बाहर’; सुमन केशरी की किताब ‘कविता के देश में’; विजय गौड़ के उपन्यास ‘अलोकुठि’; सोरित गुप्तो की किताब ‘महामारी का रोजनामचा’ और नेहा नरुका के कविता संग्रह ‘फटी हथेलियां’ पर बातचीत होगी.

(विज्ञप्ति)

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