सुनहरी उंगलियाँः आने वाली नस्लों की ख़ातिर कुछ सवाल

  • 9:59 pm
  • 12 February 2024

नई दिल्ली | विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन के स्टॉल ‘जलसाघर’ में वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा के साथ संवाद से सोमवार के कार्यक्रम शुरू हुए. सॉनेट मंडल के कविता संग्रह ‘लौटती दोपहरें’; नासिरा शर्मा के कहानी संग्रह ‘सुनहरी उंगलियाँ’; अदनान कफ़ील दरवेश के कविता संग्रह ‘नीली बयाज़’ और चंचल चौहान की किताब ‘साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र’ का लोकार्पण हुआ. बलजिन्दर नसराली के पंजाबी भाषा से अनूदित उपन्यास ‘अम्बर परियाँ’ पर बातचीत हुई.

राजकमल प्रकाशन के सीईओ आमोद महेश्वरी ने बताया कि इस बार विश्व पुस्तक मेले में किताबों की पसंद को लेकर नया रुझान देखने को मिला है. राजकमल की क्लासिक किताबें तो पाठकों की पहली पसंद हैं ही, बाक़ी विधाओं की किताबें पढ़ने में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है. इस बार दलित और आदिवासी विमर्श, स्त्री-विमर्श समेत विमर्श की और किताबें और यात्रा-वृत्तांत, संस्मरण जैसी कथेतर किताबों की मांग ज्यादा है.

प्रेम पर उपन्यास लिखूँगीः मैत्रेयी पुष्पा
‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में धर्मेंद्र सुशांत ने बातचीत करते हुए कथाकार मैत्रेयी पुष्पा ने कहा, “एक समय था जब माना जाता था कि स्त्रियाँ उस तरह नहीं लिख सकती जिस तरह पुरुष लिखते हैं. उनकी कुछ सीमाऍं, बाधाएँ होती हैं, वह एक माँ भी होती है. मेरी पीढ़ी की स्त्री लेखकों ने कई बंधन तोड़े हैं और बंधन तोड़ना ज़रूरी भी है.” अपने उपन्यास की नायिकाओं के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी सभी नायिकाओं ने मेरे उपन्यास पढ़े हैं, उनमें निर्णय लेने की क्षमता बनी है. कुछ तो अभी प्रधान भी हैं. आज मैं जब उनसे बात करती हूं तो वे कहती हैं बीबी जी आपने हमें लिख दिया है तो अब हम वैसे थोड़ी ही रहेंगी.” अपनी अगली रचना के बारे में पूछने पर कहा कि उन्होंने प्रेम के विषय में कम लिखा है. लेकिन जल्दी ही वह प्रेम पर एक उपन्यास लिखेंगी.

‘लौटती दोपहरें’ का लोकार्पण
सॉनेट मंडल के कविता संग्रह ‘लौटती दोपहरें’ का लोकार्पण हुआ. इस पर बातचीत में सुकृता पॉल कुमार, रवींद्र त्रिपाठी और सरबजीत गरचा बतौर वक्ता शामिल रहे. संचालन मनोज कुमार पाण्डेय ने किया. परिचर्चा के दौरान सरबजीत गरचा ने बताया कि इस कविता संग्रह का अनुवाद मंगलेश डबराल करने वाले थे, बाद में सॉनेट मंडल ने यह जिम्मेदारी उन्हें सौंपी. सुकृता पॉल कुमार ने कहा, “तीन कवियों ने मिलकर इस संग्रह का अनुवाद किया है. सभी के अनुवाद में पाठक को कुछ अंतर देखने को मिलेगा क्योंकि अनुवाद सिर्फ़ शब्दों का नहीं होता, भावों का भी होता है. हर अनुवादक की टोन, स्टाइल और रिद्म अलग होती है.” रवींद्र त्रिपाठी ने कहा, “हर कवि किसी कविता के अनुवाद में अपने अनुसार नया स्वरूप प्रस्तुत करता है, मैंने ऐसी ही कोशिश की है.”

नया कविता संग्रह ‘नीली बयाज’
युवा कवि अदनान कफ़ील दरवेश के नए कविता संग्रह ‘नीली बयाज़’ का लोकार्पण हुआ. इस सत्र में अनिल यादव, पराग पावन, मसऊद अख्तर भी मौजूद रहे. इस मौक़े पर अदनान कफ़ील दरवेश ने नए संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ किया. कहा कि वह शुरू से ही पढ़ने-लिखने कि संस्कृति का हिस्सा हैं. जब प्रतिशोध का साहित्य प्रकाशित होता है तो उसकी ख़्वाहिश होती है कि समाज में बदलाव होगा. दूसरे वक्ताओं ने कहा कि अदनान ने प्रेम की बहुत-सी कविताएँ लिखी हैं. यह उनका निजी अनुभव है, जिसने उन्हें ऐसे साहित्य रचना की ओर मोड़ दिया.

‘अम्बर परियाँ’ पर बातचीत
पंजाबी से अनूदित बलजिन्दर नसराली के उपन्यास ‘अम्बर परियाँ’ पर सुशील नाथ ने उनसे बातचीत की. यह उपन्यास समकालीन पंजाब के परिदृश्य में लिखा गया है. भविष्य में विवाह प्रथा का स्वरूप क्या होगा, इस सवाल को उपन्यास की पृष्ठभूमि में बहुत बारीक ढंग से समाहित किया गया है. इसीलिए इस उपन्यास की सार्थकता, ताज़गी और आकर्षण और भी बढ़ जाता है. बातचीत में बलजिन्दर नसराली ने कहा कि “मेरे अपने दृष्टिकोण से लिखे गए उपन्यास में बहुत-सी बातें मेरी अपनी देखी हैं. इसे मैंने मैजिकल रियलिज़्म के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है.”

साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र
‘साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र’ पुस्तक के लोकार्पण के बाद लेखक चंचल चौहान से बजरंग बिहारी तिवारी ने बातचीत की. श्री तिवारी ने कहा कि यह किताब सिर्फ़ दलित साहित्य की ही नहीं बल्कि समूचे साहित्य पर लागू होने वाले यूनिवर्सल दलित एस्थेटिक की बात करती है. इस पुस्तक को लिखने के वैचारिक पक्ष के बारे में लेखक ने कहा कि वैचारिकी अर्जित की जाती है. वह किसी ख़ास समाज में पैदा होने से उत्पन्न नहीं हो सकती है.

‘सुनहरी उंगलियाँ’ का लोकार्पण
आख़िरी सत्र में नासिरा शर्मा के कहानी संग्रह ‘सुनहरी उंगलियाँ’ का लोकार्पण हुआ. वार्ताकार मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि इस संग्रह की सभी कहानियाँ हाशिया पर रहने वाले तबक़े के ईद-गिर्द घूमती हैं. लेखक ने कहा कि “सियासत के बाज़ार में आम लोगों की आंखों पर पर्दा डाल दिया जाता है और चोर दरवाज़े से सब कुछ चलता रहता है. मैंने इन कहानियों में उसी सच को दिखाने की कोशिश की है.” उन्होंने बताया कि आज इस तरह के सवालों को उठाने की ज़रूरत है वरना हम आने वाली नस्लों को कुछ नहीं दे पाएंगे.

निर्मल वर्मा की किताबों का लोकार्पण कल
13 फरवरी (मंगलवार) को दोपहर बारह बजे से जलसाघर में कार्यक्रम के पहले सत्र में निर्मल वर्मा और गगन गिल की पुस्तकों का लोकार्पण होगा. बाद में शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ्यू की रात’ का लोकार्पण होगा. हेमंत देवलेकर के कविता संग्रह हमारी उम्र का कपास पर सौरभ अनंत की उनसे बातचीत होगी. इसके बाद महेश कटारे के उपन्यास ‘भवभूति कथा’ पर राजनारायण बोहरे लेखक से बात करेंगे. इसके साथ ही मृणाल पाण्डे की किताब ‘हिंदी पत्रकारिता : एक यात्रा’ का लोकार्पण होगा, औऱ उनसे बातचीत होगी. संजीव के उपन्यास ‘प्रार्थना’ का भी लोकार्पण होगा.

(विज्ञप्ति)

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