जन्मदिन | मन्ना डे के सुर के दस शेड्स

कलकत्ता में आज ही के दिन सन् 1919 में प्रबोध चन्द्र डे जन्मे, दुनिया ने जिन्हें मन्ना डे यानी मन्ना दा के नाम से पहचाना. संगीत की दीक्षा अपने चाचा के.सी. डे से हासिल की और 40 के दशक में ख़ुद को साबित करने बम्बई चले गए और फिर वहीं के होकर रह गए. बांग्ला और हिन्दी वाले उनकी गायकी और सुर के ख़ूब मुरीद हैं हालांकि उन्होंने और ज़बानों में भी गाने गाए.

हिन्दी फ़िल्मों में पर्दे पर शास्त्रीय गायन के लिए उनकी आवाज़ का ख़ूब इस्तेमाल हुआ है. दूरदर्शन से एक इंटरव्यू में पंडित भीमसेन जोशी के साथ जुगलबंदी का बड़ा दिलचस्प क़िस्सा उन्होंने बताया था. मन्ना दा ने कहा कि पंडित जी के साथ जुगलबंदी की बात सुनकर ही मैं नर्वस हो गया..मुझे लगा कि कहां पंडित जी और कहां मैं. उनके सामने भला मैं क्या गा पाऊंगा. इंटरव्यू के दौरान बार-बार अपने कानों को हाथ लगाकर पंडित जी को  याद किया. बहरहाल सन् 1956 की फ़िल्म ‘बसंत बहार’ में पंडित भीमसेन जोशी और मन्ना डे की    जुगलबंदी  केतकी गुलाब जूही.. रिकॉर्ड हुई और ख़ूब सराही भी गई.

मन्ना डे के जन्मदिन पर उनके गाये अलग-अलग शेड्स वाले दस गाने…सुनने के लिए आपको इन लिंक को क्लिक करना है, बस.

1. प्यार हुआ, इक़रार हुआ | श्री 420 | 1955

2. तू प्यार का सागर है | सीमा | 1955

3. ये रात भीगी-भीगी | चोरी चोरी | 1956

4. ऐ मेरे प्यारे वतन | काबुलीवाला | 1961

5. लागा चुनरी में दाग | दिल ही तो है | 1963

6. दिल की गिरह खोल दो.. | रात और दिन | 1967

7. क़समे वादे प्यार वफ़ा सब | उपकार | 1967

8. आयो कहां से घनश्याम | बुड्ढा मिल गया | 1971

9. ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय | आनन्द | 1971

10. तुम बिन जीवन कैसा जीवन | बावर्ची | 1972

 

 


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.