जवान | मुक़म्मल मसाला फ़िल्म

  • 10:26 pm
  • 7 September 2023

‘जवान’ मुक़म्मल तौर पर एक मसाला फ़िल्म है, जिसमें लेखक व निर्देशक एटली ने बेहद संजीदगी के साथ मसाला फ़िल्मों के तक़रीबन सारे तत्व मसलन एक्शन, कुछ हल्के-फुल्के लम्हे, बदला, सुरीला संगीत और सुमित अरोड़ा के चुटीले संवादों का बखूबी इस्तेमाल किया है. फ़िल्म की कहानी मशहूर निबंधकार ए.जी.गार्डिंनर की तर्ज़ पर मुख़्तसर क़िस्से-कहानियों के सहारे आगे बढ़ती है. ये मुख़्तसर से क़िस्से कई जगह इतना जज़्बाती बना देते हैं कि फ़िल्म देखने आए तमाम लोगों को रुमाल की ज़रूरत भी पड़ती है.

लेखक-निर्देशक एटली की पटकथा को रूबीन का कसा हुआ संपादन इंटरवल तक तो ख़ूब बांधकर रखता है लेकिन बाद के हिस्से में यह पकड़ थोड़ी ढीली पड़ती लगती है. या यों कहें कि कुछ ज़्यादा ही नाटकीय होती चली जाती है. इंटरवल के बाद फ़िल्म को अगर कुछ बचाता है तो वो है एक्शन और बाप-बेटे के रिश्तों के जज़्बाती लम्हे, पर्दे पर “बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर” जैसे संवाद हॉल में सनसनी बनाए रखते हैं.

निर्देशक ने वी.एफ.एक्स. का ख़ूबसूरत इस्तेमाल किया है. नौजवान संगीतकार अनिरुद्ध रविचंद्र का संगीत फ़िल्म में चार चाँद लगाता है और कुछ गीत चाहे-अनचाहे ही हमारी ज़बान पर आ जाते है. जी.के.विष्णु का कैमरा कमाल करता है, फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान की एंट्री का मंज़र असरदार मालूम हुआ है.

कहानी नई नहीं है लेकिन प्रस्तुतीकरण जानदार और प्रासंगिक है, मर्म छूने वाला है. दक्षिण की मशहूर अदाकारा नयनतारा का सादगी वाला लुक और सधा हुआ अभिनय उत्तर वालों को भी दिल जीतने वाला है. विजय सेथुपति की संवाद अदायगी से ज़रूर लगता है कि उन्हें अभी और मशक़्क़त की ज़रूरत है. दीपिका पादुकोण हैं, और छोटी भूमिकाओं में ओमकार दास मानिकपुरी (पीपली लाइव के नत्था), सान्या मल्होत्रा (दंगल की बबीता फोगाट), गिरिजा ओक (तारे ज़मीन पर की जबीन) भी.

फ़िल्म की सारी ज़िम्मेदारी मगर शाहरुख़ ने अपने कंधे पर उठा ली है. ‘जवान’ में वह दोहरे किरदार में हैं और शुरू से अंत तक बांधे रखते है. पर्दे पर जब वह अवाम से जुड़े मुद्दे थोड़ी-थोड़ी देर मे उठाते हैं तो हॉल में बैठे लोग उस पर प्रतिक्रिया भी जताते चलते हैं. लेखक और निर्देशक को अगर इंटरवल के बाद की फ़िल्म और कमज़ोर क्लाइमेक्स के लिए मुआफ़ किया जा सके या इन दोनों पहलुओं को नज़रअंदाज़ कर दें तो एटली डिस्टिंक्शन के साथ पास होते है.

फ़िल्म मनोरंजन करने में कोई कसर नहीं छोड़ती बल्कि हाल में रिलीज़ हुई फ़िल्मों के नज़रिए से देखें तो जवान मज़ेदार फ़िल्म है, जो मनोरंजक है और नेक नियत भी. पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर फ़िल्म का रिकॉर्ड इसकी ताईद भी करता है. जिन्हें मुक़म्मल मसाला फ़िल्में पसंद हैं, वे कुनबे के साथ इस फ़िल्म का लुत्फ़ उठा सकते है. मैं इस फ़िल्म को 3.5 रेटिंग दूंगा.

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