हिंदी सिनेमा में सफलता के नए आयाम स्थापित करने वाले आमिर ख़ान आज अपनी ज़िंदगी के 59 साल मुक़म्मल कर रहे हैं, सुनहरे पर्दे पर नायक के तौर पर वह 35 साल पुराने हो चुके हैं फिर भी हमेशा कुछ नया और दिलचस्प, लीक से हटकर करने की उत्सुकता और चाहत उनमें [….]
फ़िल्म की शुरुआत होती है 1999 से, जहाँ पस-ए-मंज़र में कारगिल की जंग है, और मिर्ज़ा ग़ालिब के नाम से मशहूर उस शे’र से कि ‘ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त लगता नहीं वक़्त बदलने में’, जहाँ पाकिस्तानी एजेंट ज़ोया के बचपन का वक़्त है अपने पिता नज़र साहब के साथ. इस शे’र को सुनते हुए सलमान की हालिया फ़िल्मों का हस्र भी याद कर सकते हैं. [….]