कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को नोबल पुरस्कार

  • 8:50 pm
  • 2 October 2023

नोबल पुरस्कार समिति ने सोमवार को फ़िज़ियोलॉजी या मेडिसिन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2023 के विजेताओं के नामों की घोषणा की. हंगरी की वैज्ञानिक प्रो.कैटलिन कारिको और अमेरिका के वैज्ञानिक ड्रू वीसमैन को एमआरएनए कोविड-19 टीकों के विकास का रास्ता सुझाने वाली खोजों के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है. विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन (क़रीब 1 मिलियन डॉलर) की पुरस्कार राशि दी जाएगी.
इंडियन एक्सप्रेस‘ के मुताबिक़ संस्था की ओर से बताया कि, “फ़िज़ियोलॉजी या मेडिसिन में 2023 का नोबेल पुरस्कार कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को न्यूक्लियोसाइड में बुनियादी संशोधनों के बारे में उनकी खोजों के लिए दिया गया है, जिसने कोविड-19 के ख़िलाफ़ प्रभावी एमआरएनए टीके विकसित करने में मदद की.”
प्रो.कारिको हंगरी के सेज़्ड विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पेरेलमैन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर भी हैं. प्रो.वीसमैन पेरेलमैन स्कूल के वैक्सीन अनुसंधान में प्रोफ़ेसर हैं.

कश्मीर में बने बैट की वर्ल्ड कप क्रिकेट में पहली बार एंट्री
यूं तो दक्षिण कश्मीर में क्रिकेट बैट बनने का इतिहास 102 साल पुराना है लेकिन भारत में 5 अक्टूबर से खेले जाने वाले आईसीसी क्रिकेट वनडे वर्ल्ड कप-2023 में अफ़गानिस्तान के खिलाड़ी कश्मीरी बैट से खेलते नज़र आएंगे. पांच अफ़गान खिलाड़ी तो पहले से ही इन बैट का इस्तेमाल कर रहे हैं. वर्ल्डकप में पहुंचने की खबर से जीआर8 क्रिकेट बैट कंपनी में जश्न-सा माहौल है. इसके प्रबंध निदेशक फैजुल कबीर ने ‘द हिंदू’ को बताया कि पिछले साल नवंबर में हुए वर्ल्ड कप में यूएई के जुनैद सिद्दीकी ने श्रीलंकाई बॉलर दुष्मंथा चामीरा की गेंद पर टी-20 वर्ल्ड कप का सबसे लंबा छक्का (109 मीटर) मारा था. इसके बाद से दुनिया भर का ध्यान उनकी कंपनी के बैट की ओर गया. कबीर की अनंतनाग और पुलवामा स्थित फैक्टरियों में ही नहीं, अन्य कंपनियों में भी इन दिनों मांग बढ़ने के कारण उत्पादन बढ़ाने के लिए अतिरिक्त लोग लगाने पड़े हैं. कह सकते हैं, कश्मीरी बैट के लिए यह सुनहरा साल है.

पायलट, क्रू मेंबर्स के परफ्यूम लगाने पर रोक मुमकिन
कोई ऐसा माउथवॉश, टूथ जेल, कोई दवा या परफ्यूम, जिसमें अल्कोहल हो, हवाई जहाज उड़ाने जा रहे पायलट, क्रू और केबिन क्रू मेंबर इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय इन पर रोक लगाने की तैयारी कर रहा है. ऐसी चीजों के इस्तेमाल से ब्रीद एनलाइज़र टेस्ट के पॉज़िटिव आने की संभावना रहती है. यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा मामला होने के कारण इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. रोक लगाने के लिए नियमों में बदलाव पर महानिदेशालय ने सभी उड्डयन कंपनियों को इसका प्रस्ताव भेजा है. ‘द हिंदू’ में ख़बर है कि नए प्रस्ताव में सभी उड़ान संचालकों को कम से कम दो ऐसे ब्रीद एनलाइज़र रखने को कहा गया है, जो दशमलव के तीन अंकों तक वैल्यू बताने और कम से कम हज़ार जांच का रिकार्ड रखने में सक्षम हों.

पारसियों की लंबी उम्र का राज तलाश रही है एक कंपनी

पारसी भारत के दूसरे समुदायों के लोगों से लंबी उम्र पाते हैं. उनमें फेफड़े, सिर और गले के कैंसर के मामले बहुत कम पाए जाते हैं लेकिन पार्किंसन, अल्ज़ाइमर जैसी दूसरी बीमारियां बढ़ रही हैं. इसका जवाब तलाशने के लिए 2008 में ‘10000 अवेस्थोजेनोम प्रोजेक्ट’ की शुरुआत हुई थी. इस रिसर्च के लिए अवेस्थाजेन लिमिटेड के रिसर्चर अब तक 4700 पारसियों के सैंपल ले चुके हैं और 400 का जीनोम विश्लेषण भी हो चुका है. इस कंपनी की स्थापना डॉ. विल्लू मोरावाला पाटेल ने की थी और अंग्रेज़ी साहित्य की रिटायर्ड प्रोफ़ेसर परिवज भोटे का पहला ब्लड सैंपल लिया गया था. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की ख़बर के मुताबिक, तमाम अध्ययन बताते हैं कि देश के पारसी औसत 85 साल की उम्र तक जीते हैं जो अन्य भारतीय समुदायों की तुलना में 10 साल ज्यादा है. यह दिलचस्प शोध जारी है.

जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला बिहार पहला राज्य
बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. ‘अमर उजाला’ के मुताबिक, बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने जातीय गणना पर एक किताब भी जारी की है. जातीय गणना के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग 27% हैं. राज्य में अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या 21,99,361 है. जो कुल आबादी का 1.68% है. सबसे ज्यादा 14.26% यादव हैं. ब्राह्मण 3.65%, राजपूत (ठाकुर) 3.45% हैं. सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जारी की जातीय गणना रिपोर्ट का विवरण साझा करने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. उन्होंने सूबे की नौ पार्टियों से इस बैठक में हिस्सा लेने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है. इसमें 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं, जिनमें अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52% है.

चयन-संपादन | सुमित चौधरी

कवर | ट्वीटर से साभार

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