नोवाक प्रकरण | खेल की दुनिया की ट्रेजिक कॉमेडी

ऑस्ट्रेलियन ओपन का ‘नोवाक प्रकरण’ खेल की दुनिया में एक ट्रेजिक कॉमेडी है, जो अनावश्यक और अवांछित थी और नोवाक की महानता की अभेद्य दीवार में एक छेद सरीखी भी. अपनी अधीरता के चलते नोवाक अपनी सबसे पसंदीदा सतह पर जीत का मौक़ा खो चुके हैं शायद हमेशा के लिए.

रोजर फ़ेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविच हमारे समय के ही महानतम खिलाड़ी नहीं हैं बल्कि वे सार्वकालिक महानतम टेनिस खिलाड़ियों की त्रयी बनाते है. तीनों ही खिलाड़ी 20-20 ग्रैंड स्लैम जीत चुके हैं और गोट (सार्वकालिक महानतम खिलाड़ी) के सबसे बड़े दावेदार हैं. 21वीं सदी के पहले 21 साल का पुरुषों का टेनिस इतिहास दरअसल इन तीनों के बीच की स्पर्धा का इतिहास है. टेनिस के ये तीन दिग्गज तीन अलग-अलग खेल पट्टियों के महारथी खिलाड़ी हैं. अगर फेडरर विम्बलडन की हरी सतह पर बेजोड़ हैं, तो नोवाक मेलबोर्न पार्क की नीली सतह पर असाधारण और राफा रोलां गैरों की लाल सतह पर अपराजेय.

यूं तो तीनों के अलग-अलग लाखों-करोड़ों प्रशंसक हैं. लेकिन ऐसे भी लोगों की तादाद भी कम नहीं जो एक साथ इन तीनों को पसंद करते हों. इनको पसंद करने और इनका फ़ैन होने के हर शख़्स के पास अपने कारण हो सकते हैं.

मेरे तईं तीनों ही खिलाड़ी अपने खेल में ही नहीं बल्कि अपने रूप रंग, अपने व्यवहार और पूरे व्यक्तित्व में एक दूसरे से बहुत ही अलहदा हैं.

टेनिस सबसे एलीट खेलों में से एक है और फेडरर उसके सबसे प्रतिनिधि खिलाड़ी हैं. वे बहुत ही शालीन, गंभीर और अनुशासित व्यक्तित्व वाले हैं. वे टेनिस में एलीट क्लास का प्रतिनिधित्व करते हैं. जबकि राफा न केवल चेहरे मोहरे और हाव-भाव में बल्कि अपने पूरे व्यक्तित्व से मिडिल क्लास का प्रतिनिधित्व करते प्रतीत होते हैं. लेकिन ये अंतर बहुत बारीक है और दोनों – राफा और फेड एक-दूसरे के बहुत निकट हैं और दोनों टेनिस के ‘गुड बॉय’ की जोड़ी बनाते हैं.

इन दोनों के विपरीत नोवाक गुस्सैल स्वभाव के हैं और बहुत अधीर भी. वे टेनिस के ‘बिगड़ैल बालक’ की तरह हैं. या यूं कहें कि वे टेनिस के ‘एंग्री यंगमैन’ हैं. उनका व्यवहार अक्सर एलीट टेनिस खेल की गरिमा के अनुरूप नहीं होता या कहें कि नहीं माना जाता. दरअसल एलीट टेनिस वर्ल्ड में वे अवांछित हैं. लेकिन वे हार नहीं मानते और लगातार संघर्ष करते हैं. अपने व्यवहार से वह टेनिस के एलीट जगत के तौर तरीकों को चुनौती देते हैं. वे पीछे से आगे आते हैं और अपना विशिष्ट स्थान बनाते हैं. दरअसल अपने मनोभावों के प्रकटीकरण में और अपने व्यवहार में उतने संयत और शालीन नहीं हैं जितना कि टेनिस की दुनिया में अपेक्षित है और इसीलिए यहां वे ‘मास’ का प्रतिनिधित्व करते प्रतीत होते हैं.

बात 2020 के यूएस ओपन की है. नोवाक खिताब के सबसे प्रबल दावेदार थे. 07 सितंबर, 2020 को स्पेन के पाब्लो करेन बुस्ता के विरुद्ध प्री-क्वार्टर फ़ाइनल मैच खेल रहे थे. पहले ही सेट में सर्विस गंवाकर 5-6 से पिछड़े कि उन्होंने गुस्से में गेंद को ज़ोर से दे मारा जो लाइन रेफ़री को लगी. नियम के मुताबिक इसे ग़लत माना गया और उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया. उन्होंने जान-बूझकर रेफ़री को गेंद नहीं मारी थी. ये दुर्योग ही था कि उनको लग गई. उस समय दुनिया जहान की सहानुभूति उनके साथ हो गयी थी. उनके प्रशंसकों के अलावा बहुत सारे लोगों को लगा था कि उन्हें बाहर करने का निर्णय कठोर था और न केवल एक ग्रैंड स्लैम खिताब से उन्हें वंचित कर दिया गया और ग्रैंड स्लैम खिताब की दौड़ में उन्हें राफा और फेड से पीछे धकेल दिया गया.

लेकिन नोवाक चैंपियन खिलाड़ी हैं. इससे वे हतोत्साहित नहीं हुए और 2021 में तीन ग्रैड स्लैम खिताब जीतकर राफा और फेड के साथ टाई पर आ गए. अब उन्हें एक टाई ब्रेकर ख़िताब की ज़रूरत थी, जिसे वे ऑस्ट्रेलिया ओपन में कर सकते थे. वे यहां के बेताज़ बादशाह हैं और अभी तक 09 खिताब जीत चुके हैं. लेकिन कई बार आप अपने अहंकार या नादानी में भस्मासुर बन जाते हैं. अपनी उपलब्धियों पर, अपनी ताक़त पर इतने सम्मोहित हो जाते हैं कि ख़ुद को नष्ट कर लेते हैं. इस बार नोवाक ऐसा ही करते दिखते हैं.

बहुत बार आप अपनी शोहरत, अपनी ऊंचाई को संभाल नहीं पाते. सितंबर 2020 की सहानुभूति और समर्थन जनवरी 2022 तक आते-आते वह खो देते हैं. वे अपने विचारों में कई बार रूढ़िवादी और प्रतिगामी लगते हैं. विचार निजी हो सकते हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए. लेकिन जब आप बहुतों के लिए रोल मॉडल होते हैं तो आपसे अधिक संतुलित होने की अपेक्षा की जाती है. इन दो सालों में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिससे उन्होंने अपने बहुत से समर्थकों को खोया होगा.

वे अपनी सोच में काफी अतार्तिक और अवैज्ञानिक हैं और उन्हें जहाँ-तहाँ ज़ाहिर करते रहे हैं. जैसे एक जगह वे कहते हैं कि ‘प्रदूषित पानी सकारात्मक सोच से साफ किया जा सकता है’. अपनी एक किताब में उन्होंने लिखा कि एक हाथ में ब्रेड पकड़ने भर से उन्हें पता चल गया कि वे ग्लूटेन सहन नहीं कर सकते.

इतना ही नहीं उन्होंने कोरोना से बचने के लिए टीकाकरण का विरोध किया. लेकिन बाद में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उनका आशय सिर्फ़ इतना था कि टीका लगवाना हर व्यक्ति का अपना निर्णय होना चाहिए. उन्होंने कहा उन्हें ये पसंद नहीं कि ‘यात्रा करने और प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कोई उन पर टीका लगवाने का दबाव डाले.’

अपने इन्हीं विचारों के चलते उन्होंने टीकाकरण नहीं कराया जबकि ऑस्ट्रेलियन ओपन ने काफी पहले ये घोषित कर दिया था कि इसमें भाग लेने के लिए दोनों टीके लगे होना ज़रूरी है. वे अपनी ऑस्ट्रेलिया ओपन में भाग लेना चाहते हैं और अपने टीका न लगवाने की स्वतंत्रता के अधिकार को भी सुरक्षित रखना चाहते हैं. वे इसके लिए मेडिकल छूट का सहारा लेते हैं.

यहां उनका दुचित्तापन ये है कि वे अपने टीका न लगवाने के अधिकार का सम्मान तो करवाना चाहते हैं लेकिन दूसरों के टीका लगवाने के अधिकार को भूल जाते हैं. यदि वे अपने टीका न लगवाने के अधिकार का सम्मान कराना चाहते थे तो लगवाने वालों के अधिकार का सम्मान करते हुए ऑस्ट्रेलियन ओपन से स्वयं हटने का निर्णय लेना चाहिए था. उन्होंने बैक डोर एंट्री लेनी चाही. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के आव्रजन अधिकारियों को गलत सूचनाएं मुहैया कराईं. मेडिकल छूट के लिए आवेदन किया और और अंततः कोर्ट का सहारा लिया.

इतना ही नहीं उन्होंने इन दो सालों में कोविड अनुरूप व्यवहार नहीं किया. वे पहली बार जब कोविड पॉज़िटिव हुए तो उन्होंने अद्रिया का दौरा किया और सामाजिक दूरी का कोई पालन किए बग़ैर समारोहों में शामिल हुए. उसके बाद दूसरी बार दिसम्बर 21 में पॉजिटिव होने के बाद भी यही ग़लती दोहराई.

साथ ही एक गुस्सैल खिलाड़ी होने के अलावा, जो मैदान में रैकेट तोड़ने के लिए बदनाम हो, उन पर मैचों में निर्णायक मौक़ों पर मेडिकल ब्रेक की छूट का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगता रहा है.

यूं तो वे गोट की रेस में अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे हैं. उम्र और समय उनके साथ है. पर वे इस रेस को जीतने के लिए अधीर हैं. दरअसल उनके प्रतिद्वंद्वी दूसरे खिलाड़ी नहीं बल्कि वे ख़ुद अपने प्रतिद्वंद्वी हैं. उन्हें ख़ुद से लड़ना है. वे अपनी अधीरता में अपनी सबसे पसंदीदा सतह पर जीत का मौक़ा खो चुके हैं शायद हमेशा के लिए. उन पर तीन साल का प्रतिबंध लगा है. तीन साल बाद वे यहां जीत पाने की स्थिति में नहीं ही होंगे.

ऑस्ट्रेलियन ओपन का यह ‘नोवाक प्रकरण’ एक ट्रेजिक कॉमेडी है, जो अनावश्यक और अवांछित थी और नोवाक की महानता की अभेद्य दीवार में एक छेद सरीखी भी.

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