अल्टीमेट खो-खो | मिट्टी से मैट के सफ़र में सब कुछ बदला

जब खो-खो खेल मिट्टी से मैट पर स्थानांतरित हो रहा होता है, तो ये खेल अपनी प्रगति के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा होता है. और इसे देखने के बाद आप दुविधा में भी पड़ सकते हैं कि क्या ये वही खेल है, जिसे हमने अपने बचपन में खेला या देखा था.

दरअसल मैट वाली जिस ‘अल्टीमेट खो-खो’ को कल से देखना शुरू किया है न, ये वो खो-खो नहीं है जिसे आपने दिन की खिली धूप में मिट्टी पर खिलाड़ियों को नंगे पैर या पीटी शूज़ में सेंडो बनियान और नेकर पहने खेलते देखा है. इसमें मिट्टी की जगह कृत्रिम सिंथेटिक सतह आ गई है जैसे कि अन्य खेलों के साथ साथ कुश्ती और कबड्डी में आ गई है. इसमें साधारण जूते नहीं बल्कि विशेष रूप से इस खेल के लिए डिज़ाइन किए जूते हैं. डिज़ायनर कपड़े हैं. ये अब दिन में नहीं बल्कि गहराती रात में कृत्रिम प्रकाश में खेला जाता है.

तो इसमें चकाचौंध होगी ही. जुनून, एक्शन, गति, उन्माद भी भरपूर होगा. उत्तेजना भी होगी. शोर-शराबा भी होगा. दिखावा होगा, थोड़ा नकलीपन, थोड़ा बनावटीपन भी होगा. इसमें चारों तरफ ग्लैमर ही ग्लैमर पसरा होगा. यानि कृत्रिम प्रसाधनों की तीव्र महक से आपके नथुने फड़फड़ा उठेंगे. बस कुछ नहीं होगा तो पुरानी खो-खो के देसीपन की सोंधी ख़ुशबू नहीं होगी.

और सिर्फ़ खेल सतह, खिलाड़ी, कपड़े और उनसे निर्मित वातावरण ही नहीं बल्कि खेल का स्वरूप भी बदल-बदला मिलेगा. अब एक पाला जिसे खो-खो में टर्म कहा गया है, 09 मिनट का नहीं बल्कि 07 मिनट का हो गया है. अब एक खिलाड़ी के आउट होने पर एक नहीं दो अंक मिलेंगे. और अगर आपने छलांग लगाकर, चाहे स्काई डाइव या पोल डाइव हो, अगर खिलाड़ी टैग किया है यानी आउट किया है, तो 3 अंक मिलेंगे. सबसे बड़ी बात तो अब डिफ़ेंस के लिए भी अंक मिल सकते हैं. यदि कोई डिफ़ेंडर ढाई मिनट सरवाइव कर पाता है तो उसे भी दो अंक मिलेंगे और उसके बाद तो अगले हर 30 सेकंड पर वो दो अंक ले सकता है.

और पावर प्ले अब क्रिकेट की बपौती नहीं रह गयी है, अब इसमें भी पावर प्ले होगा. दरअसल एक नया कांसेप्ट वज़ीर का है. चेज़र यानी अटैकर टीम में अब एक वज़ीर होगा जो अलग रंग की ड्रेस में होगा जैसे वॉलीबॉल में लिबेरो होता है. ये चेज़र टीम के ट्रम्प कार्ड की तरह है. कोई भी चेज़र जिस दिशा में आगे बढ़ता है, उसे बदल नहीं सकता. लेकिन वज़ीर के पास ये पॉवर होती है कि वो कभी भी कैसे भी किसी भी दिशा में मुड़कर रनर या डिफ़ेंडर को टैग कर सकता है. और चेज़र या अटैकर टीम डिफेंडर टीम के किसी भी एक बैच में दो वज़ीर का प्रयोग कर सकती है. यही समय पावर प्ले कहलाता है.

और अब बात कल के मैचों की. पहला मैच मुम्बई ख़िलाडीज़ और गुजरात जाइंट्स के बीच हुआ. पहली पाली यानी दो टर्म तक मुक़ाबला बराबरी का था लेकिन बाद में गुजरात ने मुक़ाबले को एकतरफ़ा बनाकर 69-44 अंकों से जीत लिया.

गुजरात के कप्तान रंजन शेट्टी ने टॉस जीतकर डिफ़ेंड करने का फ़ैसला किया. पहले दो टर्म में मुम्बई 22-2 पर थी. दूसरे टर्म में गुजरात 02 को की बढ़त के साथ 26-24 पर थी. तीसरे टर्म में स्कोर रहा 44-30. गुजरात को जीत के लिए केवल 15 अंक चाहिए थे. लेकिन उसने चौथे टर्म में 39 अंक जुटाकर एक मैच 69-44 अंकों से जीत लिया.

दूसरा मैच तेलुगु योद्धाज़ और चेन्नई क्विक गन्स के बीच खेला गया. ये मुक़ाबला पहले के मुक़ाबले कम स्कोर और नज़दीकी रहा. पहली पाली में स्कोर तेलुगु गन्स के पक्ष में 29 -15 रहा. दूसरी पाली में चेन्नई ने 23-19 अंकों के साथ वापसी करने की कोशिश की लेकिन मुक़ाबला 48- 38 अंकों से योद्धाज़ के पक्ष में रहा.

और चलते-चलते ये कि आप राहुल चौधरी को जानते हैं न. वही कबड्डी वाले. कबड्डी के पहले स्टार और ‘फ़ैशन स्टेटमेंट’. यानी कबड्डी के सचिन नहीं बल्कि विराट कोहली.


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