प्रो-कबड्डी | पाइरेट्स को पटक कर दबंग चैंपियन

यह एक नए चैंपियन का उदय था. अब दबंग दिल्ली केसी टीम प्रो-कबड्डी सीज़न 08 की नई चैंपियन थी. दिल्ली के स्टार खिलाड़ी नवीन एक्सप्रेस का पिछले सीज़न में आंसुओं से डूबा चेहरे पर आज ख़ुशियां बिखर-बिखर जा रही थीं. उस बार जीत का टूटा हुआ सपना अब हक़ीक़त बनकर सामने था. एक रोमांचक मैच में पटना पाइरेट्स को एक अंक से हराकर दबंग सीजन 08 के चैंपियन जो बन गए.

शुक्रवार की रात को सीज़न 08 का फ़ाइनल इस सीज़न की सबसे सफल और कंसिस्टेंट प्रदर्शन करने वाली दो टीमों पटना पाइरेट्स और दिल्ली दबंग के बीच खेला गया. इन दो टीमों के टाइटल ‘पाइरेट्स’ और ‘दबंग’ कहीं से भी सकारात्मक ध्वनि नहीं निकालते हैं. पाइरेट्स माने समुद्री लुटेरे और दबंग मने अपनी ताक़त का बेजा इस्तेमाल करने वाला. लेकिन दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने अपने शानदार खेल से बहुत ही सकारात्मकता जगाई. दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों ने अपने शानदार खेल से बता दिया कि ये शब्द नहीं बल्कि कर्म होता जो भावना बनाता या प्रदर्शित करता है. उन्होंने अपने खेल के ज़रिये अपने टाइटिल में भी सकारात्मकता जगा दी. उन्होंने बताया कि शक्ति शब्दों में नहीं, कर्म में होती है.

22 दिसम्बर से शुरू हुए सीज़न 08 में दिल्ली और पटना दोनों टीमों ने शानदार खेल दिखाया और सीधे सेमीफ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई किया. पटना 86 अंकों के साथ पहले और उससे 11 अंक कम 75 अंकों के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर रही. सेमीफ़ाइनल में भी पटना ने यूपी योद्धा पर और दिल्ली ने बेंगलुरु बुल्स पर चैंपियन की तरह ही जीत हासिल की थी.

पटना की टीम तीन बार की चैंपियन थी और चौथी बार फ़ाइनल में पहुंची थी. उसके पास राम मेहर जैसे शानदार कोच थे जिन्होंने प्रदीप नरवाल जैसे चैंपियन खिलाड़ी को बनाया था. लेकिन इस बार वही प्रदीप पटना के साथ नहीं थे, जिन्होंने उसे तीन बार चैंपियन बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी. फिर भी प्रदीप की कमी उस टीम को नहीं खली. भले ही इस बार उनके पास कोई स्टार नहीं था. लेकिन इसी कमी को उन्होंने अपनी ताक़त बनाया. वे एक यूनिट के रूप में खेले. युवा ईरानी खिलाड़ी शादलू के रूप में शानदार डिफ़ेंडर और सचिन तंवर और गुमान सिंह के रूप में बेहतरीन रेडर ने टीम की अगुवाई की. हालांकि उनके एक बेहतरीन अनुभवी खिलाड़ी मोनू गोयत ज्यादातर समय बेंच पर बैठे रहे. लेकिन हर खिलाड़ी ने जीत में अपना योगदान किया और टीम को लगभग अजेय बना दिया. वो बहुत ही संतुलित टीम थी.

दूसरी और दिल्ली की टीम भी बहुत संतुलित थी. वो सितारों से भरी थी. उसके पास एक्सप्रेस की तेजी वाले नवीन कुमार जैसे शानदार युवा रेडर थे और मंजीत छिल्लर जैसे शानदार डिफ़ेंडर और कैम्पेनर भी थे जिनके प्रो-लीग में सबसे ज़्यादा टैकल पॉइंट हैं. नवीन ने शानदार शुरुआत की और लगातार सात मैचों में सुपर 10 बना 28 मैचों में लगातार सुपर 10 बनाने का अद्भुत रिकॉर्ड बनाया. दुर्भाग्य से नवीन को चोट लगी और वो कई मैच नहीं खेल पाए. लेकिन उनकी अनुपस्थिति में एक नए स्टार का उदय हुआ. ये विजय मलिक थे.

इस तरह दोनों टीमों के अपने प्लस थे. पटना 86 अंकों के साथ पहले स्थान पर थी और वो सेमीफ़ाइनल में योद्धा टीम को आसानी से हराकर फ़ाइनल में पहुंची थी. सबसे बड़ा प्लस उसके पास तीन बार के चैंपियन होने का अनुभव था. दूसरी और दिल्ली की टीम संघर्षपूर्ण मैच में बुल्स को हराकर फ़ाइनल में ज़रूर पहुंची थी. लेकिन उसके चैंपियन खिलाड़ी नवीन की चोट के बाद वापसी हो चुकी थी और वो फ़ॉर्म में आ चुके थे. सेमीफ़ाइनल में उन्होंने शानदार सुपर 10 से टीम को फ़ाइनल में पहुंचाया था. लेकिन उनका सबसे बड़ा प्लस वो मनोवैज्ञानिक बढ़त थी जो दोनों लीग मैच में पटना टीम को हराकर हासिल की थी.

आज का फ़ाइनल मैच निःसंदेह एक बेहतरीन मैच था. जैसा एक फ़ाइनल मैच को होना चाहिए था. एक ऐसा मैच जो धीरे-धीरे सींझते हुए चरम रोमांच पर पहुंचा. ये मैच पटना के पक्ष में शुरू होता हुआ बीच में सम पर पहुंचा और बिल्कुल अंत में हल्का सा, केवल एक अंक भर दिल्ली के पक्ष में झूल गया.

दोनों टीमों ने आज बहुत ही सतर्क शुरुआत की. टॉस पटना ने जीता और नवीन ने पहली रेड में ही बोनस अंक लेकर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए. लेकिन पटना में जल्द ही 4-1 की बढ़त बनाई. उसके बाद दिल्ली को ऑल आउट कर 12-08 की. पहला हाफ़ पटना के पक्ष में 17-15 पर खत्म हुआ. ये अंकों का अंतर सिर्फ़ ऑल आउट बोनस अंकों का था. वरना दोनों के 12-12 रेड और 1-1 टैकल पॉइंट थे. पहले हाफ़ में दोनों का डिफेंस नहीं चल पाया जो दोनों ही टीमों की बड़ी ताक़त थी.

29वें मिनट तक पटना 24-21 से आगे थी. ठीक इसी पॉइंट पर विजय एक सुपर रेड करते हैं और 03 अंकों के साथ स्कोर 24-24 करते हैं. विजय की ये सुपर रेड मैच का टर्निंग पॉइंट था. मैच में पहली बार दिल्ली पटना की बराबरी पर आती है. उसके बाद नवीन रेड में एक अंक जुटाते हैं और पहली बार दिल्ली को 25-24 से बढ़त दिलाते हैं. इस अंक के साथ वे अपना सुपर 10 पूरा करते हैं. नवीन का सुपर 10 पूरा करने का इससे बेहतरीन मौका और क्या हो सकता था. अब पासा पलट चुका था. मैच चरम रोमांच पर पहुंच चुका था. तीन मिनट रहते दिल्ली की बढ़त 35-30 की हो चुकी थी, जिसका अंत 37-36 पर दिल्ली के पक्ष में हुआ.

आप जानते हैं बड़े खिलाड़ी वे होते जो टीम के लिए सही समय पर डिलीवर करते हैं. जब खिलाड़ी सही समय पर डिलीवर करते हैं तभी टीम जीतती है. पटना की टीम बहुत हद तक शादलू के शानदार डिफ़ेंस पर निर्भर थी और आज शादलू नहीं चले. लेकिन दिल्ली एक्सप्रेस नवीन ने शानदार खेल दिखाया तथा एक और सुपर 10 लगाकर टीम को विजयी बनाया. उन्होंने कुल 13 अंक जुटाए. लेकिन आज के सुपर हीरो विजय मलिक रहे. उन्होंने आज दो सुपर रेड की और एक टैकल अंक सहित कुल 14 अंक जुटाए.

ये प्रो-लीग का एक शानदार सीज़न था. निःसंदेह इससे कबड्डी का एक शानदार भविष्य झांक रहा है. इस सीजन 12 टीमों के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिला. तमाम मैच टाई हुए. क्लोज मैच हुए. जो टीमें क्वालीफ़ाइंग राउंड के पहले चरण में पिछड़ रही थीं, उन्होंने दूसरे चरण में शानदार वापसी की. पुनेरी पलटन और गुजरात जायंट जैसी टीमों ने शुरुआती असफलता से पार पाते हुए प्ले ऑफ़ के लिए क्वालीफ़ाई किया तो पिछला चैंपियन बेंगाल वारियर्स प्ले ऑफ़ के लिए भी क्वालीफ़ाई नहीं कर सका.

हम जानते हैं कि एक घटना व्यक्ति के जीवन को बदल देती है. ऐसा ही कुछ खेलों के साथ भी हो सकता है. अब देखिए न, 1983 विश्व कप क्रिकेट में भारत की जीत भारत में क्रिकेट के भाग्य को बदल देती है. इस जीत से बड़े शहरों तक सीमित खेल गली-मोहल्लों का खेल बनकर धर्म सरीखा हो जाता है. भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी कृत्रिम सतह पर खेले जाने के एक निर्णय भर से भारतीय हॉकी ही नहीं बल्कि एशियाई हॉकी ही पतन के गर्त में चली जाती है.

ठीक ऐसे ही एक निर्णय एक और खेल के चरित्र को बदल देता है. ये 2014 में कबड्डी के लिए एक लीग शुरू करने का निर्णय था. ये कबड्डी के भाग्य को बदल देता है. भारत मे अनेक खेलों में लीग शुरू हुई. लेकिन ये आईपीएल के बाद सबसे लोकप्रिय लीग बन गई. पहले सीज़न में ही इसे 45 मिलियन दर्शक मिले जो अब तक 55 मिलियन से ज़्यादा हो चुके हैं.

लीग ने इसे केवल लोकप्रिय ही नहीं बनाया. बल्कि इसका चरित्र ही बदल दिया. किसी समय का ये गंवईं खेल अब इलीट खेल के रूप में बदल गया है. किसी समय मिट्टी पर नंगे पैर खेले जाने वाला खेल अब शानदार मैट पर ब्रांडेड जूते पहनकर खेला जाने वाला खेल बन गया है. इसमें अब पैसा और ग्लैमर दोनों का समावेश हो गया है. अब इसमें खिलाड़ी करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. प्रदीप नरवाल को इस बार यूपी योद्धा ने डेढ़ करोड़ से भी ज़्यादा रुपये दिए. उसने अब अपने खिलाड़ियों के करोड़पति बनने के सपने को हक़ीक़त में बदल दिया है. इसके खिलाड़ी क्रिकेट या फ़िल्मी सितारों की तरह स्टारडम का स्टेटस पा रहे हैं. अब इसके खिलाड़ी शानदार हेयर और बेयर्ड कट में दिखाई देने लगे हैं. अब कबड्डी में भी राहुल चौधरी, सिद्धार्थ देसाई, प्रदीप नरवाल, नवीन कुमार,पवन सेहरावत,शादलू और मनिंदर जैसे आइडल खिलाड़ी मौजूद हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश,दिल्ली और हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह खुल रहीं कबड्डी की तमाम अकादमी इस बात की ताईद करती हैं कि खेल का भविष्य उज्जवल है.

खेल को मिली लोकप्रियता मुबारक हो और लीग को नया चैंपियन भी मुबारक.

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