पेरिस ओलंपिक | चर्चा में चांदी

28 जुलाई को महिलाओं का 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का स्वर्ण पदक दक्षिण कोरिया की 16 वर्षीया टीनएजर हो ये जिन ने ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ जीता, लेकिन सुर्खियों में आईं रजत पदक विजेता दक्षिण कोरिया की ही 31 वर्षीया किम ये जिन.

30 जुलाई को मिश्रित 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के रोचक और संघषपूर्ण मुक़ाबले में स्वर्ण पदक जीता सर्बिया के ज़ोराना अरुनोविच और दामिर मिकेच ने, लेकिन दर्शकों के चहेते बने रजत पदक जीतने वाली तुर्की टीम के यूसुफ़ देकिक.

आख़िर दो स्वर्ण पदक विजेताओं के स्थान पर रजत पदक विजेता दर्शकों और सोशल मीडिया पर इस कदर प्रसंशित और लोकप्रिय हो रहे हैं तो क्यों?

दरअसल ये इन खिलाड़ियों की देहभाषा और उनका स्वैग है, जो उन्हें इस कदर चर्चित और लोकप्रिय बनाता है. खेल इस क़दर तकनीकी, शक्ति युक्त और स्पर्धात्मक हो गये हैं और खिलाड़ियों पर जीत का दबाव इतना ज्यादा हावी हो गया कि खिलाड़ियों के चेहरे बहुत अधिक गंभीर और तनावयुक्त रहते हैं. उनके शरीर के मूवमेंट इस क़दर मशीनी हो गए कि उनके चेहरों पर और उनकी देह भाषा में कोई सहजता दिखाई देती ही नहीं.

जब किम ये जिन शूटिंग रेंज में निशाना साधती हैं तो उनकी देह भाषा में एक ख़ास तरह का स्वैग होता है. चेहरे पर सहज आत्म विश्वास होता है और रवैये में अजब-सी लापरवाही. यूसुफ़ देकिक एक क़दम और आगे बढ़ जाते हैं. उनका स्वैग एक अलग स्तर पर पहुंच जाता है. वे एक खेल में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक सुरक्षा उपकरणों यथा स्पेशल लेंस, आई गार्ड और ईयर प्रोटेक्टर तक का प्रयोग नहीं करते. उनको देखकर ऐसा लगता है मानो वे सुबह घूमने आए हों और शूटिंग करने लगे हों. एकदम सहज और स्वाभाविक. बिना किसी तनाव के.

दरअसल ऐसे ही खिलाड़ी खेल की आत्मा को पकड़ते हैं. वे खेलों के मशीनी और यांत्रिक होने और मानवीय तत्व की कमी से जो रिक्तता उत्पन्न होती है, अपने स्वैग वे से उस रिक्तता का भरते हैं.

इसीलिए वे दर्शकों बेहद आकृष्ट भी करते हैं और एक दीर्घ अवधि तक उनकी स्मृति का हिस्सा भी बने रहते हैं.

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