बुधवार , 29  मार्च  2023

रिपोर्ट



रिपोर्ट | नाट्यशास्त्र के बहाने आज के सवालों पर विमर्श

  • 13:46:PM
  • 19 March 2023

बरेली | नाटक दृश्य काव्य है. और इसका उद्देश्य तरह-तरह की वेदनाओं से क्लांत दर्शकों का मनोरंजन है – यह देव, दानव और मानव सभी के लिए आमोद-प्रमोद का आसान साधन है. नाट्यते अभिनयत्वेन रूप्यते- इति नाट्यम्. हमारा लोक कितनी ही तरह की कहानियां रचता और सुनाता आया है, ऐसी कहानियां जिन्हें सुनते हुए हम बड़े होते हैं और फिर उन कहानियों की सच्चाई पर हमारा भरोसा बनता जाता है. नाट्यशास्त्र की उत्पत्ति के बहाने सायन सरकार ने भरत मुनि की ज़िंदगी की कहानी की कल्पना की और मंच पर उतरी उनकी इसी कल्पना का नाम है – डू नॉट फ़ियर भरत मुनि इज़ हियर. जीतू राभा के साथ मिलकर उन्होंने इसे मंच पर जिया है.

विंडरमेयर थिएटर में कल शाम इसका मंचन हुआ. यों नाट्यशास्त्र रचे जाने के काल और उसके एक ही व्यक्ति द्वारा रचे जाने को लेकर कई मत हैं. मगर नाटक और संगीत दोनों ही विधाओं में यह सर्वसम्मत शास्त्र है और इसका श्रेय भरत मुनि को दिया जाता है. नाटक के आधारभूत तत्वों को समझने-ग्रहण करने के लिए यह आधार ग्रंथ है. और यह शास्त्र लोक की चेतना को ही नाटक का आधार बताता है.

और लोक आख्यान यह है कि स्वयं प्रजापति इसके प्रवर्तक हैं, ऋग्वेद से पाठ्य, सामवेद से गीत, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से रस के तत्व लेकर उन्होंने इस पंचम वेद का प्रादुर्भाव किया. सायन सरकार ने अपने नाटक में उन सभी तत्वों का हरसंभव समावेश किया है, जिनके मिलकर नाटक को पूर्णता मिलती है – रस, भाव, नृत्य, गीत, संगीत, आंगिक मुद्राएं. इसके साथ-साथ वह कहानियों की सच्चाई के मिथक को तोड़ते चलते हैं, तमाम समसामयिक सवालों पर विमर्श करते हैं और विषमताओं पर करारी चोट भी करते हैं.

यों तो ज्ञान प्रकाश है मगर बहुत-सी प्रचलित धारणाओं के लिए ख़तरा भी. सायन की परिकल्पना वाली इस कहानी में भरत शुद्र कुल में जन्मे ऐसे जिज्ञासु हैं, जो सीखने की अपनी ललक के चलते क़दम-क़दम पर वर्ण-व्यवस्था से प्रताड़ित होने के बावजूद हार नहीं मानते. वही वर्ण-व्यवस्था, जिसके चलते उन्होंने अपने पिता को खोया था और फिर बड़े होने के बाद ‘समुद्र मंथन’ के मंचन के बाद अपने भाई और गुरु को क्योंकि देखने वालों को लगा कि उनका नाटक तो ईश्वर के विरुद्ध है.

आश्रम में रहते हुए क़दम-क़दम पर बटुकों के हाथों उनके अपमान और हत्या की कोशिश के प्रसंग भी देखने वालों एकदम नए या अबूझ नहीं लगते. उन्हें हर क्षण लगता है कि एक जिज्ञासु की समस्याओं का समाधान करने आए भरत मुनि किसी और युग की नहीं, हमारे अपने समय की कहानी कह रहे हैं. नाटक के संवाद इस अनुभूति को और गहरा करते हैं – तुम तो बहुत अच्छे समय में जी रहे हो. हमारे समय में तो…

और चलते-चलते सायन एक और धारणा तोड़ते हैं, वह जीतू से कहते हैं कि नाट्यशास्त्र मेरे गुरु को समर्पित है, मेरी गुरुदक्षिणा. मेरे गुरु भरतमुनि.

विंडरमेयर में इस नाटक का दूसरा शो आज यानी 20 मार्च की शाम को सात बजे होगा.

कवर | prabhatphotos.com


बहेड़ी वालों को अब बहू के आने का इंतज़ार

  • 10:17:AM
  • 18 March 2023

बहेड़ी | ताज बैंक्विट् हॉल वाली सड़क पर आबाद एक घर को दुल्हन का इंतज़ार है. झालरों की रोशनी से जगमग इस घर के बाहर कुछ लोग खड़े बतिया मिले. उनकी बातचीत के केंद्र में शादी के ही क़िस्से हैं, हालांकि इस शादी के किस्से महीने भर से सुर्ख़ियों में हैं.

फ़िल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर का ब्याह इसी घर के बेटे फहद से हुआ है. क़रीब एक महीने पहले कोर्ट में हुई इस शादी की बाक़ी रस्में अभी चल ही रही हैं. बृहस्पतिवार को बारात यहां से दिल्ली गई थी. दो दिनों तक दिल्ली में हुए कार्यक्रमों में शिरकत करके बाराती तो अब लौट आए हैं, मगर दूल्हा-दुल्हन और घर के कुछ ख़ास लोग अभी दिल्ली में ही हैं.

ताज बैंक्विट् हॉल वाली इस सड़क पर शहर की बेहतरीन कोठियाँ हैं. यह हैसियतदार लोगों की रिहाइश वाला इलाक़ा है. इन दिनों नगर पालिका के चुनाव की सरगर्मी के चलते इस सड़क पर रौनक़ कुछ ज़्यादा ही रहने लगी है. इस इलाक़े में रहने वाले कम से कम तीन नेता चेयरमैन पद के चुनाव के मुक़ाबले की तैयारी में हैं. समाजसेवी ज़िरार अहमद का यह घर महीने भर से अचानक चर्चा में आया, जब से उनके बेटे फ़हद अहमद की स्वरा भास्कर से ब्याह की ख़बर की शोहरत यहां आम हुई.

बीता बृहस्पतिवार इस घऱ के लोगों के लिए ख़ास दिन था, जब फ़हद की बारात यहाँ से रवाना हुई थी. कुछ ख़ास लोग ही बाराती के तौर पर दिल्ली गए. वहाँ के कार्यक्रमों में देश के बड़े सियासी नेताओं के भी पहुंचने से आयोजन कुछ और ख़ास हो गया. बारातियों के ब्याह के वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने बाद और शादी की दावतों का लुत्फ़ लेकर लौटे बारातियों के तजुर्बे सुनकर तो यहां के लोगों के उत्साह और उत्सुकता में और इज़ाफ़ा हो गया है. बारात में शामिल एक नौजवान को एक मस्जिद के बाहर कुछ लोग घेरे खड़े थे, और दिल्ली के प्रोग्राम के क़िस्से दिलचस्प अंदाज़ में बयान कर रहा था. गर्ज़ यह कि बॉलीवुड से बहेड़ी के इस नए रिश्ते के चर्चे शहर में आम हैं.

ब्याह के चर्चों के बीच हालांकि सियासी नज़रिये के क़यास भी कम नहीं है. दरअसल फ़हद के वालिद सियासत में दख़ल रखते हैं, और नगर पालिका के चेयरमैन का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. फ़हद ख़ुद भी सियासत में सक्रिय हैं, और महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं. स्वरा भास्कर भी एक्टिविस्ट हैं, और अपने सियासी बयानों की वजह से सियासत में दिलचस्पी रखने वाली समझी जाती हैं.

इन तीनों का सियासी नज़रिया ही लोगों की सियासी चर्चा की वजह बन गया है. सोने पे सुहागा यह कि शादी में तमाम बड़े नेताओं ने शिरक़त की. किसी को लगता है कि हो न हो, आने वाली बहू बहेड़ी-पीलीभीत सीट से चुनाव लड़ जाए. यह भी कि फ़हद के वालिद का चेयरमैनी का चुनाव लड़ना तो अब पक्का है.

टेलीविज़न चैनलों और बरेली के धार्मिक नेताओं के बयान इस ब्याह को अलग नज़रिये से ही देख और पेश कर रहे हैं. उन्हें लेकर भी बहसें हैं. पर इसके साथ ही बहुतों को तो 19 मार्च को बरेली में दावत-ए-वलीमा और बहेड़ी के घर में बहू के क़दम पड़ने का इंतज़ार है.

कवर | स्वरा और फ़हद की तस्वीर ट्वीटर से








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