भारतीय सिनेमा की ट्रेजडी क्वीन मीनाकुमारी की फ़िल्में, नज़्में और ज़िंदगी के क़िस्से ज़ेहन में आते ही पाकिस्तान के शायर मोहसिन चंगेज़ी बरबस याद आते हैं, ‘सुख का किरदार निभाने के लिए उम्र तमाम, मैं ने रोती हुई आंखों से अदाकारी की.’ [….]
अगर आप रेडियो सुनते हुए बड़े हुए हैं तो ‘‘दिन है सुहाना आज पहली तारीख़ है, ख़ुश है ज़माना..’’ वाला गाना आपने ज़रूर सुना होगा. आपने यह गाना सुना भी हो तो मुमकिन है कि ओम प्रकाश भण्डारी को न जानते हों. यह ओम प्रकाश अमृतसर के जलालाबाद क़स्बे में पैदा हुए. कम उम्र में ही शायरी में मुब्तला हुए तो क़मर जलालाबादी कहलाए. [….]
उनकी शायरी की सोहबत का एक फ़ैज़ तो यही है कि ‘उन्हीं के फ़ैज़ से बाज़ार-ए-अक़्ल रौशन है..’. फ़ैज़ सच्चे वतनपरस्त थे और दुनिया भर के जनसंघर्षों के साथ खड़े होने के हामी भी. साम्राज्यवादी ताकतों ने जब भी दीगर मुल्कों को साम्राज्यवादी नीतियों का निशाना बनाया, फ़ैज़ ने उन मुल्कों की हिमायत में अपनी आवाज़ उठाई. [….]