आपको ‘उमराव जान’ की ख़ानम जान की याद है! और ‘बाज़ार’ की हजन बी! ‘सलाम बाम्बे’ के रेडलाइट एरिया के कोठे की मालकिन!! हालांकि यह उनकी शख़्सियत का एक पहलू है. शौकत कैफ़ी ने लम्बे अर्से तक पृथ्वी थिएटर और इप्टा में सक्रिय रहीं [….]
भारत में गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने के लिए और उनके संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ब्रिटेन की संस्था आरएसपीबी (रॉयल सोसाइटी फ़ॉर द प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्ड्स) ने डॉ.राम जकाती को प्रतिष्ठित मेडल दिया है. आईएफ़एस डॉ.जकाती हरियाणा वन विभाग में चीफ़ वाइल्डलाइफ़ वॉर्डन रह चुके हैं. [….]
शायर होने के साथ-साथ हसरत मोहानी जंगे आज़ादी के सिपाही भी थे. वही थे, जिन्होंने ‘इंक़लाब ज़िंदाबाद’ का नारा दिया. संविधान सभा के वह अकेले ऐसे मेम्बर थे, जिन्होंने संविधान पर अपने दस्तखत नहीं किये. उन्हें लगता था कि देश के संविधान में मजदूरों और किसानों की हुकूमत आने का कोई ठोस सबूत नहीं है. [….]
दोहे जो किसी समय सूरदास, तुलसीदास, मीरा की ज़बान से निकलकर लोक जीवन का हिस्सा बना, हमें हिन्दी पाठ्यक्रम की किताबों में मिले. थोड़ा ऊबाऊ. थोड़ा बोझिल. लेकिन खनकती आवाज़, भली सी सूरत वाला एक शख़्स, जो आधा शायर रहा और आधा कवि, दोहों से प्यार करता रहा. [….]
1974 के एक टीवी इंटरव्यू में सोल्जेनितिसन ने मारीना को बीसवीं सदी के महान कवियों में शुमार किया है . मैंने मारीना को पहली बार पढ़ा और फ़िर देर तक अफ़सोस रहा कि अब तक क्यों न पढ़ा. [….]
इन दिनों पेरिस के रोलां गैरों में ये कमाल का विरोधाभास दर्ज हो रहा है. कल 11 अक्टूबर को पुरुष वर्ग में दो सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी तमाम युवा खिलाड़ियों के जोश और उत्साह को अपने अनुभव के सबक सिखाते हुए और उम्र को धता बताते हुए एक नया इतिहास रचने को तैयार हैं. [….]
अमेरिका की कवि लुईस ग्लूक को इस वर्ष का साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है. येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी की प्रोफ़ेसर लुईस को यह पुरस्कार उनके काव्य संग्रह ‘एवेर्नो’ के लिए दिया गया है. इसके पहले 1993 में उन्हें पुलित्ज़र पुरस्कार और 2014 में नेशनल बुक अवॉर्ड भी मिल चुका है. [….]
बिब्बी की उम्र तब सात साल थी, जब वह टूअरिंग थिएटर ग्रुप की गायिका चंद्रा बाई की आवाज़ की दीवानी थीं, मगर घर वालों ने पहले उन्हें सारंगी के उस्ताद इमदाद ख़ाँ से तालीम लेने के लिए पटना भेज दिया और फिर उस्ताद मोहम्मद अत्ता खान के पास पटियाला. [….]
गूगल का आज का ख़ास डूडल साहिबज़ादी ज़ोहरा बेग़म मुमताज उल्ला ख़ान को समर्पित है. सन् 1946 के कान्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में आज ही के दिन दिखाई गई ज़ोहरा सहगल की फ़िल्म ‘नीचा नगर’ की स्मृति में है. ‘नीचा नगर’ को इस फ़ेस्टिवल में पाल्मे डी’ओर अवॉर्ड मिला था. [….]
राजा मेहदी अली ख़ान के नाम और काम से जो लोग वाक़िफ़ नहीं हैं, ख़ास तौर से नई पीढ़ी, उन्हें यह नाम सुनकर लग सकता है कि किसी छोटी-मोटी रियासत के राजा के बारे में बात हो रही है. यह एक पूरा नाम है, यह जानकर उन्हें हैरानी हो सकती है. [….]