मिल्खा सिंह प्रेरणा देने वाले नायक की तरह जिये, पर उनकी ज़िंदगी विंडबनाओं और विरोधाभासों की मिसाल भी है. रोम ओलंपिक में वह सेकेंड के सौवें हिस्से से इतिहास बनाने से चूक गए. हालांकि बाद में वह इस चूक के लिए याद किए गए और मिथक सरीखे हो गए. [….]
यों राजेन्द्र कृष्ण फ़िल्मी दुनिया के ऐसे गीतकार हैं, जिन्होंने फ़िल्मों की कहानी, स्क्रिप्ट और संवाद भी लिखे. इन सभी विधाओं में उन्होंने अधिकार से लिखा और कामयाब भी रहे. मगर उनके चाहने वालों में उनकी पहचान गीतकार की ही है. चार दशकों में उन्होंने कितने ही ऐसे नायाब गीत रचे, जो अब भी पसंद किए जाते हैं. [….]
पचास साल किसी इंसान के जीवन में बहुत बड़ा काल खंड होता है. एक नवजात अधेड़ अवस्था में पहुंच जाता है और एक युवा वृद्ध हो जाता है. तमाम गांव शहरों में तब्दील हो जाते हैं और कुछ शहर महानगरों में. दुनिया के मुल्कों में कई-कई निज़ाम बदल जाते हैं. कोई एक देश तमाम आज़ाद पहचानों में बदल जाता है तो बंटे हुए दो देश वापस एक पहचान में तब्दील हो जाते हैं. [….]
आकाशवाणी के कार्यक्रमों से लेकर फ़िल्मों के संस्कृतनिष्ठ गीतों तक जिस एक शख़्स की छाप हमेशा बराबर मिलती है, वह पंडित नरेंद्र शर्मा हैं. बहुआयामी व्यक्तित्व वाले नरेंद्र शर्मा हिंदी की आन-बान और शान थे. कवि-गीतकार, लेखक, अनुवादक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रशासक – जीवन में जो भी भूमिका मिली उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. [….]