कहानियां या फ़िल्में मुझे आसानी से भावुक नहीं कर सकती, मगर हाँ, दर्द भरी कोई कविता, दिल हिला देने वाली कोई ग़ज़ल, ठुमरी, टप्पा या गीत, और रूह को चीर देने वाले संगीत को सुन कर मैं ज़ार-ज़ार रो सकता हूँ, रोया भी हूँ, कई बार. सिनेमा में भी और नशिस्तों या बैठकों में भी. मेरा मानना है कि संगीत में किसी को भी अपनी गिरफ़्त में ले कर [….]