नाटक देखना और उसकी अनुभूति लिए हुए लौट जाना सहज है. नाटक देख आने के बाद उसके बारे में विस्तार से बात करने का रिवाज़ आम नहीं. गणतंत्र दिवस की शाम को प्रयागराज में हुए नाटक के बारे में यह रिपोर्ट एक दर्शक की प्रतिक्रिया है. इसे पढ़ना दर्शक दीर्घा में बने होने जैसा सुख देता है. [….]