साम्प्रदायिकता आज देश के लिए भयानक चुनौती बनकर सामने है. साम्प्रदायिकता राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए विष बेल की तरह है. इसका ज़हर धीरे-धीरे हमारे बुद्धिजीवियों में प्रवेश कर रहा है. रोमानी अतीत प्रेम के नाम पर हम पुनरुत्थानवाद की ओर पलायन कर रहे हैँ. [….]