जैसी कि पहले चर्चा हो चुकी है सरकारी कार्यालयों में केवल चालाक, चापलूस और जल्दी अमीर बनने की चाहत रखने वाले कर्मचारी ही नहीं होते, कुछ सीधे सादे, मेहनती और संतोषी कर्मचारी भी चयन प्रकिया की ख़ामियों का लाभ उठा कर सरकारी नौकरी में भरती हो जाते हैं. इनकी ज़िंदगी की कभी कोई कहानी नहीं बन पाती है. अगर इनकी जीवनी लिखी जाए तो कुल तीन लाइनों में आ जाती है – [….]