सुबह का सूरज ग़रीबों की दहलीज़ पर एक नई जद्दोजहद की मुनादी करने आता है. लॉकडाउन में इस मुनादी आवाज़ और तेज हो गई है. लोगों ने चौका-बर्तन कराना बंद कर दिया है, इसलिए बची रोटियां भी मिलनी बंद हो गईं. तीन रोज़ से चूल्हा नहीं जला [….]