आज हमारा हेड ख़जांची भूकमदास क़दमबोसी को हाज़िर हुआ और बोला, ”हजूर! ख़जाने की चाभियां संभाल लें, मैं तो कैलाश पर्वत पर जाकर तपस्या करूंगा.” हम सन्न रह गए. हमें पता था कि भूकमदास और उसके कुटुंब का डेढ़ सौ वर्ष पूर्व भगवान से संबंध विच्छेद हो चुका था, [….]