किताबों की दुनियाः हॉंसदा की पसंद

  • 3:07 pm
  • 30 December 2019

हाँसदा सौभेन्द्र शेखर पेशे से डॉक्टर और तबियत से लेखक हैं. अब तक चार किताबें लिख चुके हैं. उनके पहले उपन्यास ‘द मिस्टीरियस एलमेंट ऑफ़ रूपी बास्के’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2015 से सम्मानित किया गया. कहानी संग्रह ‘द आदिवासीज़ विल नॉट डांस’ के हिन्दी अनुवाद ‘आदिवासी नहीं नाचेंगे’ को हिन्दी पाठकों के बीच भी ख़ूब सराहना मिली है.

बच्चों के लिए उन्होंने ‘ज्वाला कुमार एण्ड द गिफ़्ट ऑफ़ फ़ायरः एडवेंचर्स इन चम्पकबाग’ लिखी है. ‘माई फ़ादर्स गार्डेन’ उनकी ताज़ा किताब है. ख़ूब सक्रिय रहते हैं – अस्पताल में काम करते हैं, पढ़ते हैं, खाना बनाते हैं, यात्राएं करते हैं, लेख और समीक्षाएं लिखते हैं.
एक साल में पढ़ी गई किताबों में से पांच पसंदीदा किताबें चुनने को वह थोड़ा मुश्किल काम मानते हैं. संवाद के आग्रह पर उन्होंने अपनी पसंद की इन पांच किताबों के बारे में बताया. इनमें से कुछ की उन्होंने समीक्षा भी लिखी है.

1. प्रील्यूड टु अ रायटः यह एनी ज़ैदी का उपन्यास है. ऐनी ज़ैदी ने लिखा है, कि किस तरह से एक जगह में या किसी समाज में अल्पसंख्यकों के प्रति या किसी अमुक समुदाय के प्रति या कहीं बाहर से आकर बसने वालों के प्रति एक पक्षपातपूर्ण नैरेटिव का सृजन होता है, मगर वो कोई नई बात नहीं है. हालांकि आज जो हालात हम अपने देश में देख रहे हैं, उसके कारण ज़ैदी का यह छोटा लेकिन अत्यंत शक्तिशाली उपन्यास बहुत ही प्रासंगिक हो जाता है.

2. इन सर्च ऑफ हीरः मंजुल बजाज का उपन्यास है. बजाज की किताबों के प्रति मेरा थोड़ा सॉफ्ट स्पॉट है. इनकी कहानियों में ग्रामीण परिवेश में सेक्सुअलिटी और पुरुष पात्रों का जो जीवंत कहें या कामुक वर्णन रहता है, वो मुझे बेशर्मी की हद तक पसंद है. इनके पहले उपन्यास, कम, बिफ़ोर इवनिंग फॉल्स, के एंटी-हीरो राखा को मैं अब तक नहीं भूला हूं, शायद भूल भी नहीं पाऊंगा. इन सर्च ऑफ़ हीर हीर-रांझा की प्रेम कहानी कहती है, लेकिन एक चौंका देने वाले अंदाज में.

3. फ्लावर्स ऑन द ग्रेव ऑफ कास्टः योगेश मैत्रेय की कहानियों का संकलन है. मैत्रेय दलित हैं, अंबेडकरवादी हैं, मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में पी.एच.डी. के छात्र हैं और पैंथर्स पॉ पब्सिकेशंस नामक एक एंटी-कास्ट प्रकाशन गृह चलाते हैं. उनकी कहानियों की इस किताब में मात्र अस्सी पृष्ठ हैं और कुल कहानियों की संख्या है – छह, लेकिन दलितों के दमन के बारे में बतातीं और निजी अनुभव जैसी लगने वाली ये कहानियां झकझोर देने वाली हैं.

4. अ स्ट्रेंजर एट माई टेबल: आईवो ड फिगरेडो के लिखे संस्मरण हैं. मूल नॉर्वेजियन से अंग्रेज़ी में अनुवाद डेबरा डॉकिन ने किया है. ड फिगरेडो आधे गोवन मूल के और आधे नॉर्वेजियन हैं. अपने संस्मरण में वे अपने गोवन पिता के साथ-साथ गोवा के डायसपोरा का इतिहास बताते हैं. ये तब की कहानी है, जब गोवा भारत नहीं, पुर्तगाल का हिस्सा हुआ करता था. अंग्रेज़ी में इस किताब का अनुवाद इतना बढ़िया है कि इसे पढ़ते समय मेरे मन में यह सवाल बार-बार आ रहा था कि इसका मूल नॉर्वेजियन संस्करण कितना मोहक होगा.

5. हण्ट्समैनः लक्ष्मी सरवणकुमार का लिखा उपन्यास है. मूल तमिल से अंग्रेज़ी में अनुवाद अस्विनी कुमार ने किया है. इस उपन्यास के मूल तमिल संस्करण के लिए सरवणकुमार को वर्ष 2016 के साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. मैं असमंजस में हूं और यह नहीं समझ पाता हूं कि इस उपन्यास की सुंदरता के लिए मैं लेखक की प्रशंसा करूं या अनुवादक की. जंगलों में रहने वाले मूलवासियों और जंगलों का नाश करने वाले पूंजीपतियों के बीच के द्वंद्व के साथ ही उपन्यास के नायक और उसकी तीन पत्नियों के माध्यम से पॉलीअमोरी या एक ही साथ एक से अधिक व्यक्तियों से प्रेम करने की स्थिति का ख़ूबसूरत वर्णन भी है इस उपन्यास में.

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