रोका में अलखराम की रुचि नहीं, अब इंतज़ार की ठानी

महोबा | पहाड़ों वाले शहर में एक उम्मीद आज टूट गई. अलखराम ने तय किया है कि अब वह तभी घोड़ी चढ़कर दुल्हन विदा कराएंगे, जब उनकी मंगेतर बालिग घोषित कर दी जाएगी. वर और कन्या पक्ष के लोगों की कई दौर की बातचीत के बाद यही तय हुआ.
माधवगंज में दोपहर बाद तक लोगों के ज़ेहन में सवाल ही सवाल तैरते रहे. लोगों ने जानना चाहा कि दिल्ली से आईं अंजू दीदी कल जो राय देकर गई हैं, क्या उस पर अमल होगा? अंजू दीदी यानी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति की सदस्य डॉ.अंजू बाला.
कल यहाँ आकर उन्होंने सब कुछ देखा-जाना और समझा. वह ही सुझाकर गई थीं कि अलखराम चाहें तो ‘रोका’ करने के लिए घोड़ी पर बैठ सकते हैं. उन्होंने अफ़सरों को भी सहयोग करने के लिए कहा था. गांव वालों ने भी उनको आश्वस्त किया था कि उन्हें कोई एतराज़ नहीं है.
मगर माधवगंज में पखवाड़े भर से चल रही चर्चाओं और कयासों को विराम लग गया. गांव में नेताओं की आमदरफ़्त को भी ठहराव मिल गया. 18 जून यानी आज अलखराम की शादी का दिन था. मंगेतर के नाबालिग होने का हवाला देकर अफ़सरों ने शादी पहले ही मुल्तवी करा दी थी…और कल अंजू दीदी ‘रोका’ का जो रास्ता निकालकर गईं, उस पर न अलखराम राज़ी हुए, और न उनका परिवार. वे सब राज़ी हो जाते तो माधवगंज गांव में अनुसूचित बिरादरी के बीच एक नई परंपरा की नींव आज पड़ जाती.
माधवगंज पनवाड़ी ब्लॉक की ग्राम पंचायत काशीपुरा का वह गांव है, जहां अनुसूचित जाति के किसी दूल्हे की घोड़ी चढ़कर बारात कभी नहीं निकली. गयादीन अहिरवार के बेटे अलखराम ने पहली बार यह सपना देखा और हौसला बांधा. लेकिन डर यही था कि पुरानी मान्यताओं वाले लोग ऐसा होने नहीं देंगे. इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद मांग ली. फिर तो माधवगंज गांव मदद के लिए हाथ बढ़ाने वाले नेताओं का ठिकाना बन गया. हर रोज़ नए चेहरे आते और अलखराम की पीठ ठोक जाते.
पांच-छह सौ की आबादी वाले माधवगंज गांव में 125 घर अहिरवार यानी अलखराम के समाज के हैं. अलखराम के साथ इन सबकी भी तमन्ना जुड़ गई थी. डॉ. अंजू बाला के लौटने के बाद अलखराम और उनकी मंगेतर के घर वालों ने आज देर तक बात की. दोनों पक्ष शादी में घोड़ी चढ़कर बारात लाने की ही बात कहते रहे. इसी लिए आज कोई रस्म नहीं हुई.
अलखराम ने कहा कि प्रशासन ने शादी टलवा दी. चौबीस घंटे पहले रोका की रस्म करने को कहा गया. इतने कम समय में यह संभव नहीं है. दोनों तरफ़ क लोग इसक लिए सहमत नहीं हुए. अब मंगेतर के बालिग होने के बाद ही शादी की नई तारीख़ तय होगी. तभी घोड़ी चढ़ूंगा.
सम्बंधित
शादी न सही, ‘रोका’ के लिए घुड़चढ़ी कर सकते हैं अलखराम
अलखराम का घोड़ी चढ़ना माधवगंज का यादगार वाक़या होगा
मंगेतर अभी नाबालिग, फूट-फूटकर रोया अलखराम
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं