कानपुर चिड़ियाघर | तन्हाई में उम्रक़ैद भुगत रहे हैं तीन बाघ

कानपुर | जानवरों को उम्रक़ैद! मुमकिन है कि सुनकर आपको अटपटा लगे मगर कानपुर के चिड़ियाघर में तीन आदमख़ोर बाघ ऐसे ही सज़ायाफ़्ता हैं. इनमें प्रशांत 10 साल से तथा मल्लू और मालती दो साल से उम्रक़ैद भुगत रहे हैं.
इन तीनों ने 13 लोगों की जान लेने का अपराध किया है. कानपुर चिड़ियाघर की स्पेशल रेस्क्यू टीम ने ख़ास मशक़्क़त करके इन्हें जंगल से पकड़ा और यहाँ लोहे के अलग-अलग कटघरे में क़ैद किया. इन्हें दूसरे बाड़े में नहीं छोड़ा गया.
कानपुर चिड़ियाघर में यों आठ बाघ हैं मगर यहाँ आने वाले सिर्फ़ पांच बाघ ही देख पाते हैं. इन तीनों आदमख़ोरों को तन्हाई में रखा गया है. वजह यह कि इंसानों को देखते ही ये असामान्य व्यवहार करने लगते हैं.
प्रशांत को सन् 2010 में फ़र्रुख़ाबाद के जंगल से पकड़कर लाया गया था. दो महीने में हमला कर के उसने आठ लोगों को मार दिया था. इन घटनाओं से इलाक़े में इस क़दर दहशत फैली थी कि लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया था. रेस्क्यू टीम उसे तीन दिन में तलाश कर यहाँ पकड़ लाई. प्रशांत की उम्र अब 18 साल हो चुकी है.
मल्लू और मालती की कहानी कुछ मुख़्तलिफ़ है. पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में ये दोनों अपनी मां से अलग हो गए थे. पिछले साल मार्च में मल्लू ने जंगल के पास के गांव में चार लोगों को मार दिया था. मई 2020 में ही मालती के हमले में एक आदमी की जान चली गई थी, दो लोग घायल हुए थे.
मल्लू को अप्रैल में और मालती को जून में पकड़कर कानपुर चिड़ियाघर लाया गया था. तभी से दोनों को अलग-अलग लोहे के बाड़े में बंद करके रखा गया है.
प्रशांत की उम्र को देखते हुए उसे बिना हड्डी वाला मांस खाने को दिया जाता है. वह रोज़ आठ किलो मांस खा जाता है. उसकी देखभाल के लिए एक कीपर, दो लेबर और एक सफ़ाई कर्मचारी लगाए गए हैं.
मल्लू और मालती को अस्पताल परिसर में रखा गया है. दोनों को दस-दस किलो मांस दिया जाता है. देखरेख दो कीपर, तीन लेबर और दो सफ़ाई कर्मचारी करते हैं.
कवर | मालती.
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