संजीव की सभी किताबें अब राजकमल से छपेंगी
नई दिल्ली | साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक संजीव ने विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन के मंच से यह घोषणा की है कि उनकी सभी किताबें अब राजकमल प्रकाशन से छपेंगी. उन्होंने कहा, “राजकमल पहले से हमारा प्रकाशक है. मेरे कई उपन्यास उन्होंने ही छापे हैं. प्रतिनिधि कहानियाँ छापी हैं. उनसे पुराना संबंध और वर्षों का विश्वास है. इसी विश्वास के कारण मैंने अपनी सभी पुस्तकें छापने के लिए उन्हें अधिकृत किया है. मुझे उम्मीद है कि इससे मेरे तमाम पाठकों को भी सुविधा होगी कि उन्हें मेरी सारी किताबें एक ही जगह मिल जाएंगी.”
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, “संजीव जी का साहित्य संसार बहुत विस्तृत और बहुआयामी है. उनसे हमारा दशकों पुराना आत्मीय संबंध है. हम उनकी कृतियों का प्रकाशन करते रहे हैं. हमें बेहद ख़ुशी है कि उन्होंने अपनी सारी किताबें छापने का दायित्व हमें सौंपा है. यह राजकमल प्रकाशन के प्रति उनका भरोसा और प्रेम है. किताबें ही एक लेखक के जीवन पूरी संपदा होती है, यह क्षण मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला है. अपने लेखकों और पाठकों का यह भरोसा और प्रेम ही हमारी शक्ति है. यह हमें और तत्परता से काम करने के लिए प्रेरित करता है. राजकमल प्रकाशन समूह का प्रयास रहेगा कि संजीव जी ने जो ज़िम्मेदारी हमें सौंपी है, हम उस पर खरे उतरें.”
इससे पहले, जलसाघर में राजकमल प्रकाशन से छपे संजीव के नए कहानी संग्रह ‘प्रार्थना’ का लोकार्पण हुआ. इस दौरान मंच पर ममता कालिया, वीरेन्द्र यादव, सैय्यद मुहम्मद इरफ़ान, अब्दुल बिस्मिल्लाह, बलराम, मनोज कुमार पांडेय, धर्मेन्द्र सुशान्त उपस्थित रहे. नए कहानी संग्रह के लोकार्पण पर संजीव ने कहा कि, “जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन तमाम अंधेरों के बावजूद दुनिया अब भी सुंदर है. इस संग्रह में मैंने यही दिखाने का प्रयास किया है.”
परिचर्चा में शामिल वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने कहा “मैंने संजीव के साहित्य को शुरू से पढ़ा है. जिन मुद्दों पर लिखने से लोग बचते हैं, ये उन पर लिखने का साहस करते हैं बल्कि उतने ही साहस से हाज़िरजवाबी भी करते हैं.” बलराम ने कहा “संजीव के लेखन का दायरा जितना विस्तृत है उतना आज के किसी अन्य लेखक में नहीं है.” इसी क्रम में रवींद्र ने कहा “संजीव जी एक छोटी-सी कहानी के माध्यम से व्यापक सामाजिक ताने-बाने को दिखाने की क्षमता रखते हैं.” दूसरे वक्ताओं ने कहा कि भारतीय समाज के कठिन से कठिनतम होते गए जन-जीवन के यथार्थ को बहुत सूक्ष्मता से उन्होंने अपनी कहानियों में उकेरा है. यह न केवल संजीव के अनुभव-संसार की व्यापकता बल्कि उनकी ज़िम्मेदारी का भी प्रमाण है, जो एक लेखक के रूप में उन्होंने अपने लिए चुना है.
जलसाघर में हुए कार्यक्रम के अन्य सत्रों में बृहस्पतिवार को सुरेंद्र प्रताप के उपन्यास ‘मोर्चेबन्दी’; अनीता गोपेश द्वारा संपादित किताब ‘कहानियाँ दूसरे दुनिया की’; राहुल श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘पुई’ और यतीश कुमार की किताब ‘बोरसी भर आँच’ का लोकार्पण हुआ. विपिन गर्ग द्वारा सम्पादित मीर तक़ी मीर की ग़ज़लों और रुबाइयों के संग्रह ‘चलो टुक मीर को सुनने’ और डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की किताब ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पुस्तक पर बातचीत हुई. कार्यक्रम के दौरान पाठकों ने लेखकों से संवाद किया.
‘चलो टुक मीर को सुनने’ पर परिचर्चा
‘चलो टुक मीर को सुनने’ पर हुई बातचीत में विपिन गर्ग ने कहा “मीर की शायरी का कमाल ये है कि उन्होंने ऐसे ज़माने में, जब हिंदुस्तानी शायरी पर फ़ारसी का रंग चढ़ा हुआ था और रेख़्ते में शे’र कहना कमतर समझा जाता था, आम लोगों की ज़बान में शे’र कहने के ढंग को बुलन्दी पर पहुँचा दिया. उनकी भाषा वही है, जो जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर बोली जाती है.” बातचीत को आगे बढ़ाते हुए मेहर आलम ने कहा “मज़हब को आज के समय में सियासी तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे लोग मज़हब को नाम पर जुड़ने की बजाय टूटने लगे हैं. धर्म के आधार पर लोग पहचान के संकट से गुज़र रहे हैं, जबकि भारतीय ग्रंथों का संदेश ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का है.
विपिन गर्ग ने कहा “मीर के यहाँ हर तरह की चीज़ें मिल जाएंगी, उनके शेरों में कोई लाग-लपेट नहीं है वो आपस में मुहब्बत के साथ जीने की बात करते हैं. मैं उनकी इसी ज़ुबानी का गिरफ़्तार हूँ. हमें मजहबी किताबों को छोड़कर मीर जैसे शायरों को पढ़ना शुरू कर देना चाहिए. क्योंकि ये हमें एक दूसरे से नफ़रत नहीं बल्कि मोहब्बत करना सिखाते हैं.” मेहर आलम ने कहा कि जो भी पूरी दुनिया के इंसानों को एक समझता है उसके लिए यह किताब एक नायाब तोहफ़ा है. इसे पढ़कर आपको दुनिया बड़ी हसीन लगने लगेगी.
सुरेंद्र प्रताप की पुस्तक ‘मोर्चेबंदी’
‘मोर्चेबंदी’ के लोकार्पण सत्र में उपन्यास पर बातचीत में प्रो.ओमप्रकाश सिंह ने कहा, “बनारस के छात्र आंदोलनों के ईद-गिर्द बुने गए इस उपन्यास में नए टेक्स्ट और फॉर्म की तलाश देखने को मिलती है. कथा के विस्तार में बीएचयू, महिला महाविद्यालय, हिंदी विभाग, इंजीनियरिंग कॉलेज आदि देखने को मिलते हैं. इसमें लेखक कई बार भावुक हुआ है तो कहीं पर रोमांटिक भी हुआ हैं. इन सबके बावजूद सिर्फ़ इस उपन्यास के एस्थेटिक पहलू को नहीं बल्कि उस विषय में भी सोचना चाहिए जिन मुद्दों को इस उपन्यास में उठाया गया है.” लेखक ने अपने उपन्यास के बारे में कहा, “इस उपन्यास के माध्यम से मैंने एक नए भारत को देखने का प्रयास किया है, जिसमें छात्रों, युवाओं की बदलती मानसिकता, बदलते तेवर और बदलती समस्याओं को दिखाया गया है. इसके अलावा मैंने शैक्षिक समस्याओं के साथ-साथ एक व्यापक सामाजिक परिर्वतन समझने और दिखाने का प्रयास किया है.”
‘कहानियाँ दूसरी दुनिया की’ का लोकार्पण
गोपीकृष्ण गोपेश द्वारा अनूदित पुस्तक ‘कहानियाँ दूसरी दुनिया की’ के लोकार्पण के मौक़े पर ममता कालिया, हरीश त्रिवेदी विभूति नारायण राय, प्रो. देवेंद्र राज अंकुर और अनीता गोपेश की विशिष्ट उपस्थिति रही. पुस्तक की संपादक अनीता गोपेश ने बताया, “इस पुस्तक में पिताजी द्वारा रूसी भाषा से सीधे हिंदी भाषा में अनूदित कहानियों का संग्रह शामिल है.” ममता कालिया ने कहा “ये दूसरे दुनिया की नहीं बल्कि अपने दुनिया की कहानियाँ ही हैं. वहाँ पर भी तीसरी लड़की पैदा होती हैं तो बड़ा दुःख मानते हैं. देश चाहे जो भी हो वहाँ की समस्याएं एक-सी होती हैं.” अन्य वक्ताओं ने अनुवादक गोपीकृष्ण के बारे में अपने संस्मरण साझा किए.
कहानी संग्रह ‘पुई’
राहुल श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘पुई’ को जारी करने के मौक़े पर ममता कालिया और सैयद मुहम्मद इरफ़ान विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे. लेखक ने बताया इस संग्रह की कहानियाँ निहायत ही निजी अनुभव और दृष्टिकोण पर आधारित कहानियाँ हैं. वक्ताओं ने कहा कि पुस्तक की भाषा अत्यन्त साधारण होते हुए भी कहानियाँ ईमानदारी से भरी है, जिन्हें पढ़कर मन थोड़ा विचलित होता है.
‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पर परिचर्चा
डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की पुस्तक ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पर अजित कुमार पुरी ने लेखक से बातचीत की. लेखक ने कहा, “जयशंकर प्रसाद नारी जीवन के सबसे शुभचिंतक लेखक हैं जिन्होंने अपने साहित्य में 250 से अधिक स्त्री-चरित्रों की रचना की है. उनके सभी चरित्र तेजस्वी हैं, शांति और श्रद्धा की प्रतिमूर्ति हैं. अपने चरित्रों के माध्यम से वे बहुआयामी प्रश्न उठाते हैं और उनका समाधान भी प्रस्तुत करते हैं.” प्रो. उपाध्याय ने कहा, “प्रसाद का साहित्य सार्वभौमिक शाश्वत है जिस पर पुनर्विचार, पुनर्लेखन और पुनर्विश्लेषण की आवश्यकता है.”
‘बोरसी भर आँच’ का लोकार्पण
‘बोरसी भर आँच’ गद्य विधा में लिखी गई यतीश कुमार की पहली कृति है. इससे पहले उनके दो कविता संग्रह छप चुके हैं. लोकार्पण के दौरान उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि इस संस्मरण में एक समय है, जिसमें उसके लोग-बाग हैं किन्तु वे सब एक बच्चे की आँख और स्मृतियों के माध्यम से वर्णित हैं. संस्मरणात्मक विधा में लिखी गई इस किताब में लेखक ने अपने बचपन और अतीत की स्मृतियों को बहुत रोचक ढंग से दर्ज किया है.
विश्वनाथ त्रिपाठी की नई किताब का लोकार्पण कल
जलसाघर में 16 फरवरी को दोपहर दो बजे पहले सत्र में बसंत त्रिपाठी के कविता संग्रह ‘घड़ी दो घड़ी’ पर संजीव कौशल की उनके साथ बातचीत होगी. वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी के जन्मदिन के मौक़े पर उनकी नई आलोचनात्मक कृति ‘हरिशंकर परसाई : देश के इस दौर में’ और उनके द्वारा सम्पादित हरिशंकर परसाई के व्यंग्य संग्रह ‘भोलाराम का जीव’ का लोकार्पण होगा, साथ ही गरिमा श्रीवास्तव की किताब ‘देश ही देश’ और संपत सरल का नया व्यंग्य संग्रह ‘निठल्ले बहुत बिजी हैं’ और मैनेजर पाण्डेय की किताब ‘दारा शुकोह : संगम संस्कृति का साधक’ का भी लोकार्पण होगा.
(विज्ञप्ति)
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