पेरिस ओलंपिक | मनिका बत्रा ने इतिहास रचा
बहुत सारे देश जिस तरह से पदक अपने खाते में डाल रहे हैं और उनकी पदक तालिका के अंक जिस तरह से बढ़ते जाते हैं, उससे लगता है कि पदक जीतना कितना आसान होता है. बस मैदान में उतरो और पदक जीत लो. लेकिन दरअसल ऐसा होता नहीं है. यह वर्षों की हाड़तोड़ मेहनत और त्याग से हासिल होता है, केवल खिलाड़ी का ही नहीं बल्कि उससे जुड़े बहुत सारे लोगों का भी. एक पूरी उम्र लग जाती है ओलंपिक तक पहुंचते-पहुंचते. जब एक खिलाड़ी मैदान में उतरता है तो वह जीतने के लिए ही खेलता है और अपनी तरफ़ से जीतने का हर संभव प्रयास करता है. पर जीतेगा तो एक ही खिलाड़ी न. हां, कमरे में बैठकर किसी भी खिलाड़ी को ट्रॉल करना बहुत आसान होता है. एक बार आप ख़ुद मैदान में उतरकर देखिए न!
ख़ैर, ये बात इसलिए निकली कि दूसरे दिन तीरंदाज़ी में महिला टीम हार गई तो चौथी बार अपना ओलंपिक खेल रही दीपिका को सबसे ज्यादा ट्रॉल किया जाने लगा. ये दीपिका का दुर्भाग्य है कि वे ओलंपिक में भारत के लिए कोई पदक नहीं जीत सकीं बावजूद इसके कि अन्य बहुत से प्रतियोगिताओं में उन्होंने भारत के लिए तमाम पदक जीते हैं.
तीरंदाज़ी में हार का सिलसिला तीसरे दिन भी जारी रहा. महिलाओं की तरह पुरुष टीम से भी बेहतरीन प्रदर्शन और पदक की होड़ में शामिल होने की उम्मीद थी. धीरज बोम्मादेवरा, तरुणदीप राय और प्रवीण रमेश जाधव की तिकड़ी से भारत को बहुत उम्मीदें थीं. पर ऐसा हो न सका. पुरुष टीम भी क्वार्टर फ़ाइनल में तुर्की की टीम से 2-6 सेटों से हारकर पदकों की दौड़ से बाहर हो गई.
दरअसल तीरंदाज़ी में महिला और पुरुष दोनों वर्गों में हार इसलिए साल रही है कि दोनों टीमें अपने से कहीं नीची रैंकिंग वाली टीमों से हारी. ओलंपिक में केवल रिकर्व वर्ग में प्रतियोगिता होती है, जबकि कंपाउंड वर्ग में भारत के पास अभिषेक वर्मा, ज्योति वेनम और ओजस देवताले जैसे शानदार तीरंदाज़ मौजूद हैं. पर वे ओलंपिक में नहीं खेल पाते.
यहां उल्लेखनीय है कि दक्षिण कोरिया की महिला टीम ने लगातार दसवीं बार तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीता. वो 1988 से अब तक अपराजेय है. दक्षिण कोरिया ने फ़ाइनल में एक संघर्षपूर्ण मुकाबले में चीन को 5-4 सेटों से हराया.
एथलेटिक्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा दल शूटिंग का है. इसमें कुल 21 शूटर्स गए हैं. अब तक लगभग आधी स्पर्धाएं समाप्त हो गई हैं और भारत के हिस्से केवल एक कांस्य पदक आया है. तीसरे दिन भारत की उम्मीद दो फ़ाइनल्स पर टिकी थी. 10 मीटर एयर राइफ़ल स्पर्धाओं के महिला और पुरुष फ़ाइनल में रमिता जिंदल और अर्जुन बतुता थे.
महिलाओं में रमिता फ़ाइनल के दूसरे एलिमिनेशन में बाहर हो गईं और सातवें नंबर पर रहीं. उनके लिए बस यही दिलासा है कि इस स्पर्धा में पिछले 20 सालों में फ़ाइनल पहुंचने वाली वे दूसरी महिला शूटर हैं. इस स्पर्धा का मुक़ाबला बहुत ही रोचक रहा. स्वर्ण पदक के लिए मुक़ाबला दक्षिण कोरिया की हो जिन बान और चीन हुआंग यू टिंग के बीच टाई रहा. दोनों ने ओलंपिक रिकॉर्ड ब्रेक किया. टाई ब्रेक में कोरिया की बान ने स्वर्ण पदक जीता. कमाल की बात ये कि ये दोनों ही टीनएजर हैं.
पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफ़ल स्पर्धा में भारत के अर्जुन का दुर्भाग्य रहा कि वे पदक से चूक गए और अंतिम चौथे नंबर पर रहे. इससे पहले लगातार दूसरे व तीसरे स्थान पर चल रहे थे. एक बहुत छोटी-सी चूक या गलती जीवन से कितना कुछ छीन लेती है, ये अर्जुन के अलावा मिल्खा सिंह,पी टी उषा और वे तमाम लोग ही जान सकते हैं जो स्पर्धाओं में चौथे स्थान पर रह जाते हैं. कल 20वें शॉट में उनसे ज़रा सी चूक हुई और उनका ये शॉट 9.5 का रहा, जबकि इससे पहले वे सारे शॉट 10 से ऊपर मार रहे थे. इस कमज़ोर शॉट से उबरने की बहुत कोशिश की, पर सफल नहीं हुए. लेकिन वे क्या ही शानदार स्पोर्ट्स पर्सन हैं. एक समय वे चोट के चलते कुछ देर बिना सहारे के खड़े नहीं हो सकते थे और खेल कॅरिअर की कोई संभावना ही नहीं दीखती थी. लेकिन ये उनका संघर्ष था, जिजीविषा थी और कठोर परिश्रम था, वे ओलंपिक में पदक जीतते रह गए.
जहां इन दोनों फ़ाइनल में भारत को पदक न मिल पाने से निराशा हाथ लगी, वहीं भारत को पहला व एकमात्र पदक दिलाने वाली मनु भाकर ने एक बार फिर भारतीयों के लिए उम्मीद जगाई.10 मीटर एयर पिस्टल की मिश्रित युगल स्पर्धा में सरबजोत सिंह के साथ वे तीसरे स्थान पर रहीं और आज कांस्य पदक के लिए ये टीम कोरिया की ओ ये जिन व ली वोन हो की जोड़ी से खेलेगी. इस स्पर्धा में भाग ले रही दूसरी भारतीय जोड़ी रिदिमा सांगवान और अर्जुन चीमा 10वे स्थान पर रहे और क्वालीफ़ाई नहीं कर सके.
पुरुषों की ट्रैप स्पर्धा के पहले दिन 3 राउंड के बाद भारत के पृथ्वीराज तोंदईमान तीसवें स्थान पर चल रहे हैं. शेष दो राउंड आज पूरे होंगे.
बैडमिंटन में भारतीय शटलर अभी तक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. लक्ष्य सेन ने कल बेल्जियम के जूलियन केरेगी को 21-19,21-14 से हराकर महत्वपूर्ण जीत हासिल की. दरअसल ग्वाटेमाला के केविन कार्डन पर उनकी जीत अब काउंट नहीं की जाएगी क्योंकि उन्होंने प्रतियोगिता से अपना नाम वापस ले लिया है. उनका महत्वपूर्ण मुक़ाबला आज जोनाथन क्रिस्टी से होगा. लेकिन अश्विनी पोनप्पा और तनिषा की जोड़ी अपने ग्रुप का दूसरा मैच भी जापान की शिदा और मात्सुयामा से 11-21 09-21 से हारकर पदक की होड़ से बाहर हो गई.
हॉकी में कल भारत अपने पूल का दूसरा मैच खेल रही थी अर्जेंटीना के विरुद्ध. भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने एक बार फिर अपने गोल से भारत को संकट से उबार लिया और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अंक जुटाया. इस मैच में अर्जेंटीना ने 22वें मिनट में एक गोल से बढ़त ले ली और ये बढ़त 58वें मिनट तक क़ायम रही. जब ये लगने लगा कि भारत हार जायेगा तब पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल कर हरमनप्रीत ने मैच ड्रॉ करा दिया. इससे पहले मैच में भी भारत और न्यूजीलैंड की टीम दो दो गोल से बराबरी पर थे लेकिन अंतिम मिनट में हरमनप्रीत ने गोल कर भारत को जीत दिलाई. भारत का अगला मुकाबला आयरलैंड से होगा.
टेबल टेनिस में विश्व 86वीं रैंक वाले हरमीत देसाई विश्व नंबर 05 लेबरुन से सीधे सेटों में 0-4 से (8-11, 8-11, 6-11, 8-11) हार गए. लेकिन इतिहास रचा मनिका बत्रा ने. वे ओलंपिक के प्री क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं. उन्होंने कल शानदार खेल दिखाया और भारतीय मूल की फ्रांस की 12वीं वरीयता वाली फेवरेट प्रिथिका पावड़े को सीधे सेटों 4-0 से हरा दिया.
तीसरे दिन के मुकाबलों की समाप्ति पर पदक तालिका में जापान सबसे ऊपर था. उसने 06 स्वर्ण, 02 रजत और 04 कांस्य पदक सहित कुल 12 पदक जीते हैं. दूसरे स्थान पर मेजबान फ्रांस था, जिसने 05 स्वर्ण, 08 रजत और 03 कांस्य पदक सहित कुल 16 पदक जीते हैं. जबकि चीन 05 स्वर्ण, 05 रजत और 02 कांस्य सहित कुल 12 पदक जीतकर पदक तालिका में तीसरे स्थान पर है. भारत 01कांस्य के साथ 26वें स्थान पर है.
और चलते चलते ये कि प्रतिभा उम्र की मोहताज कहां होती है. 10 मीटर एयर राइफ़ल की महिला स्पर्धा में चीन की रजत पदक जीतने वाली हो हुआंग यू टिंग मात्र 17 वर्ष की और स्वर्ण जीतने वाली दक्षिण कोरिया की जिन बान मात्र 16 वर्ष की हैं और दोनों ने ओलंपिक रिकॉर्ड ब्रेक किया. लेकिन कमाल ये भी है कि महिलाओं की स्ट्रीट स्केटबोर्डिंग स्पर्धा में पदक जीतने वाली तीनों प्रतिभागी टीनएजर हैं और उनकी टोटल उम्र 45 वर्ष है. इस स्पर्धा का स्वर्ण जापान की 14 वर्षीय कोको योशीजावा ने, रजत पदक जापान की ही 15 वर्षीय लिज अलामा ने और कांस्य पदक ब्राजील की 16 वर्षीय रायसा लील ने जीता. जबकि भारत के युगल टेनिस स्पर्धा में भाग ले रहे रोहन बोपन्ना 44 वर्ष के हैं.
और ये कि टेनिस की दुनिया का बहुप्रतीक्षित मैच भी दो दिग्गजों नोवाक जोकोविच और राफेल नडाल मध्य कल रोलां गैरों की लाल मिट्टी पर खेला गया. ये दोनों के बीच 60वां मैच था. नोवाक ने राफ़ा पर 6-1,6-4 से एक आसान जीत हासिल की.
कवर | मनिका बत्रा/ विकिपीडिया
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