दो रोज़ पहले गोरखपुर वालों ने सोशल मीडिया वाले चिंतकों को धमाल मचाने का जो मसाला मुहैय्या कराया, किताबों से मुग़ल दरबार की बेदख़ली का मसला भी उसी में आ जुड़ा है. सोशल कहलाने वाले मीडिया में ‘हा हंत’ का शोर है. आख़िर ‘त्राहिमाम’ कहकर पुकारें तो भी किसको! [….]