कैसा तो समय आ गया है, मुहावरे तक उल्टे होते जा रहे हैं. अब यह मुहावरा ही ले लीजिए, ‘दूर के ढोल सुहाने’. सब जानते ही हैं इसका मतलब. लेकिन अब ये मुहावरा उलट गया है! अब दूर वाले ढोल में भले मीन-मेख निकाल ले कोई, पास बजते फटे ढोल भी सुहाने लगने लगे हैं. [….]