पंजाबी का कोई और कवि हिन्दी में इतना मकबूल नहीं है, जितना कि पाश. विशाल हिन्दी समाज में पाश ग़ैर-हिन्दी भाषाओं के सर्वाधिक प्रिय कवि हैं. अख़बारों के लेखों से लेकर कितनी ही किताबों में पाश की कविताओं के हवाले से विचार और संदर्भ तय करने से तो यही लगता है. कितनी ही किताबें उनकी स्मृति को समर्पित हैं. [….]