यह सन् 1940 की बात है, जब रोज़गार की तलाश में एक नौजवान इक़बाल हुसैन अपना शहर जयपुर छोड़कर बंबई पहुंच गया. वहां बस में कंडक्टर का काम पा गया. तबियत से शायर था, सो अपने काम के सिवाय शायरी करता. कहीं मुशायरा होता तो उसमें शिरकत भी करता. [….]
अगर आप रेडियो सुनते हुए बड़े हुए हैं तो ‘‘दिन है सुहाना आज पहली तारीख़ है, ख़ुश है ज़माना..’’ वाला गाना आपने ज़रूर सुना होगा. आपने यह गाना सुना भी हो तो मुमकिन है कि ओम प्रकाश भण्डारी को न जानते हों. यह ओम प्रकाश अमृतसर के जलालाबाद क़स्बे में पैदा हुए. कम उम्र में ही शायरी में मुब्तला हुए तो क़मर जलालाबादी कहलाए. [….]
फ़िल्मी दुनिया में शैलेन्द्र ऐसे गीतकार हुए हैं, जिन्होंने अपने गीतों के ज़रिए आम आदमी के जज़्बात को बड़े फ़लक तक पहुंचाया. उनके सुख-दुःख में अपने गीतों के मार्फ़त वे शरीक हुए. उन्हें नया हौसला, नई उम्मीद दी. यही वो बात है कि शैलेन्द्र के गीत आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने कल थे और आगे भी रहेंगे. सही मायने में वह जनगीतकार थे. [….]