नाटक | विंडरमेयर में ‘ज़िंक्स्ड ऑरेन्जेज़’

बरेली | नाटक ‘ज़िंक्स्ड ऑरेन्जेज़’ के बहाने रंग विनायक रंगमंडल के कलाकारों ने कल शाम विंडरमेयर में जादू जगाया. और इस जादू का असर यह कि ऑडिटोरियम में बैठे तमाम लोगों को अपने बचपन में पढ़े-सुने कितने ही क़िस्सों की याद हो आई.

एक राजा था. उसका एक बेटा था. एक चुडैल ने उस पर ऐसा जादू कर दिया कि वह हंसना भूल गया. राजकुमार की इस हालत के फ़िक्रमंद राजा ने मुनादी करा दी कि जो कोई राजकुमार का हंसा देगा, उसे एक बोरा सोना इनाम देंगे. बहुत लोगों ने कोशिश की मगर कोई फायदा नहीं हुआ. फिर एक जोकर आया, और उसके कारनामों के चलते राजकुमार खिलखिलाकर हंस पड़ा. राजा का राज्य हड़पने का षडयंत्र रचने वालों और उस चुडैल को यह बात नाग़वार गुज़री. चुड़ैल ने राजकुमार पर फिर ऐसा जादू कर दिया कि वह हज़ारों मील दूर एक महल में रखे तीन संतरों के मोह में पड़ जाता है. जोकर को साथ लेकर राजकुमार उन संतरों की तलाश में निकल जाता है. वह संतरे कोई फल नहीं थे, अभिशप्त राजकुमारियां थीं. बाक़ी तो आप समझ ही सकते हैं.

नाटक में गुज़रे दौर के क़िस्सों का तिलिस्म था, राजा का राज्य हड़पने के सपने थे, सपने देखने वालों की साजिशें थीं, चुड़ैल थी, जादूगर, जोकर और अय्यार थे. ब्रूटस और डायना थे, डम्बलडोर और बीरबल भी थे. छल, फ़रेब और धोखे थे. गीत, संगीत, नृत्य और परिहास से भरे चुटीले संवाद थे. नाटक की कल्पना और डिज़ाइन का उत्स इतालवी नाट्य शैली ‘कॉमेडिया डेल-आर्टे’ है, तो इस शैली के अनुरूप भड़कीली पोशाकें, मास्क और तुरत-फुरत संवाद गढ़ने और समकालीन समाज पर टिप्पणियों के मौक़े भी थे.

ज़िंक्स्ड ऑरेंजेज़ः राजा का दरबार

सोलहवीं सदी में इटली में जन्मी इस नाट्य शैली ‘कॉमेडिया डेल-आर्टे’ का अर्थ ही है – पेशेवर कलाकारों का परिहास. सड़कों, बाज़ारों जैसी खुली जगह में किसी पुरानी कहानी पर आधारित बुनियादी स्किप्ट पर नाटक करने वाले कलाकार ज़रूरत के मुताबिक अपने संवाद ख़ुद ही गढ़ते, और अक्सर हास्य की चाशनी में डूबी ऐसी चुटीली और मारक टिप्पणियां रच लेते, जिन्हें कहीं और लिखने-बोलने पर सेंसर होने का ख़तरा रहता. यह शैली इतनी लोकप्रिय हुई कि धीरे-धीरे पूरे यूरोप में फैल गई और दो सदियों तक बनी रही.

रंग विनायक की मंडली ने ‘ज़िंक्स्ड ऑरेन्जेज़’ में इस शैली की तमाम ख़ूबियों का असरदार निर्वाह किया. नॉन-स्क्रिप्टेड लगने वाले प्रसंग और संवाद भी ख़ूब जमे. नाटक का रूपांतरण, डिज़ाइन और निर्देशन शुभा भट्ट भसीन ने किया. अजय, हिमांशु, शोभित, मेघा, विजय, अमन, ऋषभ, अभिषेक, मुनीष, प्रियंका, रेनू, सम्यून, स्पर्श और आर्यन अलग-अलग भूमिकाओं में नज़र आए. संगीत लव तोमर और प्रकाश सज्जा काव्या, स्पर्श और शोभित ने संभाली. गाने ऋषभ और अमन ने रचे, कोरियोग्राफ़ी अमन और मेघा के ज़िम्मे थी, काव्या और सम्यून ने वॉल पेन्टिंग की.

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रिपोर्ट | नाट्यशास्त्र के बहाने आज के सवालों पर विमर्श


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