ढाई-तीन हफ़्ते पहले गायक मित्र सत्येन्द्र त्रिपाठी से फ़ोन पर देर शाम बात हुई थी. वह योगेश जी के साथ साये की तरह रहते थे. एक बेटे की तरह. हमारी बातचीत का मुद्दा कुछ और था, लेकिन ऐसा संभव ही नहीं था कि सत्येन्द्र से बात हो और योगेश जी का ज़िक़्र न आए. [….]