सम्मान, ख़िताब या लोकप्रियता का कोई आयाम शायद ही बचा हो जो उस्ताद की झोली में गिरा न हो. उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ां जब 90 बरस के हुए तो न्यूयॉर्क में एक भव्य समारोह आयोजित करके उनको सम्मानित किया गया था. 1992 में तेहरान में एक प्रेक्षागृह का नाम ही उनके नाम पर रख दिया गया. [….]