माई लार्ड! लड़कपन में इस बूढ़े भंगड़ को बुलबुलका बड़ा चाव था. गांव में कितने ही शौक़ीन बुलबुलबाज़ थे. वह बुलबुलें पकड़ते थे, पालते थे और लड़ाते थे, बालक शिवशम्भु शर्मा बुलबुलें लड़ाने का चाव नहीं रखता था. केवल एक बुलबुल को हाथ पर बिठाकर ही प्रसन्न होना चाहता था. पर ब्राह्मण कुमार को बुलबुल कैसे मिले? [….]