अशोक पांडे के लिखने-पढ़ने से वाबस्ता लोगों की एक बड़ी दुनिया है, कोई उनकी कहन का क़ायल है, कोई ज़बान का मुरीद और मौज़ू के दीवाने भी बहुतेरे हैं. जो उनसे वाक़िफ़ हैं, जानते हैं कि लिखने की तरह की ही बेबाक़ी-बेलौसपन उनकी शख़्सियत में भी शामिल हैं. [….]