कृश्न चंदर ने उपन्यास लिखे, कहानियाँ लिखीं, नाटक, व्यंग्य, ख़ाक़े और रिपोर्ताज लिखे, फ़िल्मों की स्क्रिप्ट लिखीं और बच्चों के लिए कहानियाँ भी. लंबे समय तक वह उर्दू में ही लिखते रहे, बाद में हिंदुस्तानी ज़बान में. रुमानी लेखन से शुरू करके उन्होंने अपने दौर की सच्चाइयों को लेखन का विषय बनाया, मगर बाद में समाजवादी यथार्थवाद [….]