यह सफ़रनामा तीसरी सदी में अधूरे छूट गए एक सफ़र को पूरा करने की ऐसी दास्तान है, जिसमें तमाम संस्कृतियों, सभ्यताओं, जाति, नस्ल, धर्मों और फ़लसफ़े की विविधताओं वाली छवियाँ हैं और उन्हें एक सूत्र में बाँधने वाले तत्वों की तलाश भी. मोइन मीर का यह सफ़रनामा [….]