दिल्ली से हेलसिंकी जाते समय आरंभ में विचार काबुल और मास्को के रास्ते विमान से ही जाने का था. अवसरवश दिल्ली में पाकिस्तान के राजदूतावास के एक सज्जन से भेंट हुई. उन्होंने उलाहना दिया – ‘भारतीय लेखक हेलसिंकी – मास्को की ही बात सोचते हैं….ख़ासकर पंजाबी लेखकों को तो लाहौर-पेशावर नहीं भुला देना चाहिए.’ [….]