राजनेताओं की पहचान इस आधार पर होती रही है कि वे अपने समय में मनुष्य और मनुष्यों के समुदायों को किन्हीं उच्च आदर्शों, जीवन मूल्यों और आंतरिक सबलीकरण के लिए किस प्रकार प्रेरित करते हैं, वे अपने समकाल को कितना बदल पाते हैं. उनके जीवन के बाद भी यह उपलब्धियाँ क्या किसी नैतिक व्यवस्था को जन्म दे पाती हैं, क्या वे कोई नयी राजनीति और मानव उत्थान की किसी परियोजना को आगे ले जा पाती हैं? [….]