गुरु नानक के अनुयायिओं ने गुरु की यात्राओं को उदासियों का नाम दिया है. ये यात्रायें, दौरे या भ्रमण जितने बाहरी दर्शन को थे, उतनी ही अंदरूनी भी थे. दर्शन को फ़लसफ़ा या अंग्रेज़ी में फ़िलॉसोफ़ी यूँ ही नहीं कहा गया. गुरु नानक ने अपनी बाणी में उदासी को बिलगाव और त्याग से भी जोड़ा है. [….]