बक्शीपुर का नाम आते ही हर गोरखपुरिए के ज़ेहन में एक जैसी ही तस्वीर उभरती है. ठसम-ठस्स गाड़ियां, हार्न की चिल्ल-पों और रिक्शो के एक-दूसरे से लड़ते, उलझते और घसीट-घसीट कर किसी तरह आगे बढ़ते पहिए. दोनों पटरियों पर किताब-कॉपी की दुकानें और उनके सामने खड़े ढेर सारे स्टूडेंट. [….]