हम इसलिए अमन चाहते हैं कि आज ज़ुल्मात-ए-जंग में आबे-ज़िन्दगी मिल नहीं रहा है और अमन ही ख़िज़्र-ए-ज़िंदगी है [….]
पूरब देस में डुग्गी बाजी फैला सुख का हाल दुख की अगनी कौन बुझाए सूख गए सब ताल जिन हाथों में मोती रोले आज वही कंगाल आज वही कंगाल भूका है बंगाल रे साथी भूका है बंगाल [….]