अभी-अभी एक ट्रक के नामकरण समारोह से लौटा हूं. मेरे एक रिश्तेदार ने जिनका हमारे घर पर काफी दबदबा है, कुछ दिन हुए एक ट्रक खरीदा है. उसका नाम रखने के लिए मुझे बुलाया था. [….]
तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान!
तुम जिस सोफ़े पर टांगें पसारे बैठे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर लगा है, जिसकी फड़फड़ाती तारीख़ें मैं तुम्हें रोज़ दिखा कर बदल रहा हूं. यह मेहमानवाज़ी का चौथा दिन है, मगर तुम्हारे जाने की कोई संभावना नज़र नहीं आती. [….]