बात साल 2017 की है. उस वक़्त अचानक मेरी नौकरी छूट गई थी. ख़ुद को बदहवासी से बचाए रखने के लिए अपनी पसंद का जो कुछ पढ़ सकता था, पढ़ने लगा. यह मेरा आजमाया हुआ नुस्ख़ा था क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में दो-चार होता रहा हूं. [….]
सत्तर का दशक रहा होगा. बच्चन के उफ़ान के साथ ही काका का सितारा तक़रीबन डूबने को था. सिनेमाघरों से ज्यादा इसे सड़कों पर महसूस किया जा सकता था. इस दौर की तफ़्सील यह थी [….]