मई 1394 में जब मलिक सरवर गवर्नर बनकर यहां आया तो उसने राजधानी ज़फ़राबाद से जौनपुर कर दी. वह यहां आया तो शहर वैसा ही खंडहर था, जैसा फ़िरोज तुगलक ने देखा था, जब उसने यहां शहर बसाने की सोची थी. [….]
उर्दू की प्रगतिशील धारा के कवियों में जनाब वामिक़ जौनपुरी एक रौशन मीनार की तरह दीप्तिमान हैं. एक प्रगतिशील कवि होने के नाते वामिक़ साहब विचारधारात्मक प्रोपगंडे को साहित्य के लिए ज़रूरी मानते हैं पर उनकी शायरी में नारा अपनी कलात्मकता के साथ इस तरह दिखलाई पड़ता है कि वह काव्य सौन्दर्य का एक अंग बन जाता है. [….]