आम लोगों की पहुंच में होनी चाहिए कला

  • 3:34 pm
  • 5 November 2020

कला | जामिनी राय
मेरा मानना ​​है कि कला केवल संग्रहालयों और अभिजात वर्ग के लोगों के लिए नहीं है, बल्कि आम लोगों के लिए भी होती है. मुझे यह भी लगता है कि कला सस्ती होनी चाहिए, ताकि यह आम लोगों की पहुंच में रहे और लोग ख़ुद को इससे जोड़कर देख सकें.
मेरा कॅरिअर एक पोर्ट्रेट पेंटर के तौर पर शुरू हुआ. बाद में इसमें ठहराव आ गया. लोगों ने मेरे चित्रों में पाश्चात्य परंपराओं को अस्वीकार कर दिया. इस अस्वीकृति ने मुझे अपनी शैली बदलने के लिए मजबूर किया.


परिचय
अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के सबसे मशहूर शागिर्द जामिनी राय के चित्रों में बंगाल की लोक कलाओं की विषय वस्तु का समावेश ख़ूब मिलता है. कैनवस और तैल रंग जैसी क़ीमती चीज़ों को छोड़कर चित्र बनाने के लिए वह ऐसे सस्ते माध्यमों का इस्तेमाल करते जो लोक कलाकार किया करते. यही वजह है कि उनके चित्रों में भारतीय रंगों की छटा ही चमकती है – लाल, हरा, सिंदूरी, पीला, नीला,भूरे और धूसर रंग भी. रामायण और कृष्ण लीला के प्रसंगों से लेकर ग्राम्य जीवन में स्त्री-पुरुषों की गतिविधियाँ उनके चित्रों का विषय हैं. कालीघाट की पटुआ शैली के लोकप्रिय और लोकरंजक बिम्बों को भी उन्होंने अपने चित्रों में जगह दी. एकदम शुरुआती दिनों में पाश्चत्य कला शैली में पोर्ट्रेट बनाने वाले जामिनी राय पर संथालों की सोहबत और उनकी कलाओं का ऐसा असर हुआ कि पाश्चत्य शैली छोड़कर स्थानीय और आदिवासी कलाओं के हवाले से उन्होंने अपनी विशिष्ट शैली विकसित की.

जन्म | 11 अप्रैल, 1887. बांकुड़ा.
निधन | 24 अप्रैल 1972

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