जन्मदिन | रामधारी सिंह दिनकर

  • 3:41 pm
  • 23 September 2020

देश के पहले गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने एक कविता पढ़ी थी – ‘जनतंत्र का जन्म’..
आरती लिए तू किसे ढूंढ़ता है मूरख
मंदिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे
देवता मिलेंगे खेतों में खलिहानों में.

1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य रहे दिनकर ने सत्ता को बहुत क़रीब से देखा और चूंकि ख़ुद भी ग्राम्य पृष्ठभूमि से आए थे तो गांव-जवार, किसान-मजदूर और खेती-किसानी की बदहाली से भी ख़ूब वाक़िफ़ थे. और विनम्रता के बावजूद उनके मुखर स्वभाव के चलते गणतंत्र का यह विरोधाभास उनकी कविताओं में जब-तब झलकता भी ज़रूर. उनकी कविता ‘समर शेष है’ में इसका उदाहरण देख सकते हैं,
सकल देश में हालाहल है, दिल्ली में हाला है
दिल्ली में रौशनी, शेष भारत में अंधियाला है
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध.

जन्म | 23 सितंबर, 1908. सिमरिया (बेगूसराय)

प्रमुख कृतियां | रेणुका, कुरूक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, द्वंद्वगीत, संस्कृति के चार अध्याय,हमारी सांस्कृतिक कहानी,शुद्ध कविता की खोज.

मान | पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार.

हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
दिनकर जी अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका हिन्दी प्रेम दूसरों की अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का विरोधी नहीं, बल्कि प्रेरक था.

अज्ञेय
उनकी राष्ट्रीयता चेतना और व्यापकता सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्त्वों पर बल, उनका सात्त्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है.

नामवर सिंह
दिनकर जी सचमुच ही अपने समय के सूर्य की तरह तपे. मैंने स्वयं उस सूर्य का मध्याह्न भी देखा है और अस्ताचल भी. वे सौन्दर्य के उपासक और प्रेम के पुजारी भी थे. उन्होंने ‘संस्कृति के चार अध्याय’ नामक विशाल ग्रन्थ लिखा है, जिसे पं. जवाहर लाल नेहरू ने उसकी भूमिका लिखकर गौरवन्वित किया था. दिनकर बीसवीं शताब्दी के मध्य की एक तेजस्वी विभूति थे.

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