ज़माने में बहुतेरे लोग ऐसे हैं, जिनके लिए ‘उमराव जान’ या ‘गमन’ की ग़ज़लें ही शह्रयार की पहचान हैं. यों ख़ुद शह्रयार अपनी इस पहचान पर ख़ुश लेते थे मगर अदब, इतिहास, इंसान और अपने दौर के मसाइल पर उनकी निगाह बराबर रहती. [….]
रियासत के दिनों में हरम में रहने वालों की ज़िंदगी बाहर से जितनी चकाचौंध भर लगती थी, क़रीब से देखने पर उनकी आत्मा उतनी ही उदास, ख़ामोश, बेबस और तारीकी में डूबी हुई मिलती. ‘द बेग़म एण्ड द दास्तान’ ताक़त और वैभव के ख़ौफ़ के बीच ख़ुद की ख़ुशियों-आकांक्षाओं को पीछे धकेलकर ज़िंदगी गुज़ार देने वालों की ख़ामोशी को ज़बान देती है. [….]
प्रो.हेरंब चतुर्वेदी जाने-माने इतिहासकार हैं और लेखन दुनिया में ख़ूब सक्रिय भी हैं. हाल के वर्षों में इतिहास और इतिहासेत्तर विषयों पर उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. सन् 2013 में उनकी एक किताब छपी – ‘दास्तान मुग़ल महिलाओं की’. इसे नया ज्ञानोदय और बीबीसी ने उस साल की सबसे चर्चित पुस्तकों में शामिल किया था. [….]