महोबा | पहाड़ों वाले शहर में एक उम्मीद आज टूट गई. अलखराम ने तय किया है कि अब वह तभी घोड़ी चढ़कर दुल्हन विदा कराएंगे, जब उनकी मंगेतर बालिग घोषित कर दी जाएगी. वर और कन्या पक्ष के लोगों की कई दौर की बातचीत के बाद यही तय हुआ. [….]
बरेली | दो दशकों से बंद पड़ी रबर फ़ैक्ट्री पिछले सवा साल से लोगों के बीच सनसनी बनी रही तो उसकी वजह शर्मीली ही थी. तमाम जतन के बाद वही शर्मीली शुक्रवार को वन विभाग के लोगों की पकड़ में आ गई. 11 फ़ीट की लंबाई और डेढ़ सौ वजन वाली इस बाघिन को पकड़ने की यह छठवीं कोशिश थी. [….]
महोबा | माधवगंज गाँव में अलखराम के ब्याह को लेकर शुरू हुई हलचलें अभी थमी नहीं है. अब ख़बर यह है कि अनुसूचित बिरादरी के अलखराम चाहें तो कल घोड़ी चढ़ सकते हैं. अफ़सरों के साथ ही गांव के लोग भी सहयोग करेंगे. [….]
रोम ओपन के फ़ाइनल में राफा से हारने के बाद एक सवाल के जवाब में जोकोविच ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा था कि ‘नेक्स्ट जेन अभी हमें ओवरटेक करने की स्थिति में है ही कहां. बल्कि हमने ख़ुद ही ‘नेक्स्ट जेन’ को रीइन्वेंट किया है.’ जोकोविच की जीत इसे साबित करती है. [….]
दुधवा | मिट्ठू उर्फ मिथुन सोमवार को आख़िरकार दुधवा नेशनल पार्क पहुंच ही गया. चंदौली से चार महावतों के साथ ख़ास ट्रक में आए मिट्ठू को दक्षिणी सोनारीपुर रेंज की गुलरा चौकी पर लाया गया. [….]
महोबा | कुलपहाड़ तहसील. रोज़ जैसा ही मंज़र, लेकिन गर्मी कुछ ज्यादा…और पारा 39.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद भी तहसील परिसर में लोगों की भीड़. बेसब्री इस क़दर कि छोटी-सी ख़बर पर भी उछल पड़ते. और आख़िर में वह ख़बर आई, वह फ़ैसला जिसे सुनने के फेर में ही वे इतनी गर्मी में यहाँ डटे हुए थे. [….]
माधवगंज | …और अब सोशल मीडिया में इस नए ट्विस्ट ने अलखराम को परेशान कर डाला है. उन्होंने जो सपने संजोए और उसे पूरा करने को जो हौसला बांधा, उसमें अड़चन आ पड़ी है. सोचा था कि 18 जून को अपने ब्याह में वह सदियों पुरानी रूढ़ि से पार ज़रूर पा जाएंगे. [….]
मनाली | नेहरू फ़ेजेंटरी के मोनाल प्रजनन केंद्र में पहली बार एक साथ तीन मोनाल जन्मे हैं. बीस दिनों के मोनाल के तीनों बच्चे अपनी मां के साथ पिंजरे में खेलते देखे जा सकते हैं. बताया गया है कि मनाली के प्रजनन केंद्र में मोनाज का प्रजनन दूसरी बार हुआ है. [….]
पौड़ी | महामारी की वजह से हुए ‘रिवर्स माइग्रेशन’ का नतीजा है कि अर्से से वीरान हो चुके गांवों में हलचल दिखाई देने लगी है. ज़िले के ऐसे ही एक गांव में तीन परिवार लौट आए हैं. गांव के ही दो और परिवार लौटने की तैयारी में हैं. [….]
यों कहावत है कि ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’ मगर कहा तो यह भी गया है कि ‘हिम्मत-ए-मरदां तो मदद-ए-ख़ुदा’. ये कहानियाँ उन लोगों की हैं, जिन्होंने अपने संकल्प पूरे करने की ठानी और हौसला नहीं छोड़ा. [….]