बाकेगंज | काशी वाइल्डलाइफ़ ऑफ़िस के कम्पाउण्ड में डेढ़ साल से मेहमानी कर रहे मिट्ठू को दुधवा टाइगर रिज़र्व लाने के लिए मथुरा से एलीफ़ैंट केयर सेंटर के एक ख़ास ट्रक मंगाया गया है. [….]
महोबा | पहाड़ों के सौंदर्य के बीच बसे बुंदेलखंड के इस छोटे से ज़िले के चार ब्लॉकों में एक है पनवाड़ी. इसी पनवाड़ी ब्लॉक के गांव माधवगंज में ऐसा पहली बार होगा, जब अनुसूचित बिरादरी का कोई दूल्हा घोड़ी चढ़कर अपनी दुल्हन लेने जाएगा. गांव के अलखराम अहिरवार का ब्याह 18 जून को तय हुआ है. [….]
बस्ती | समुद्र में डूब रहे जहाज से पानी में कूदे तो कई लोग मगर तूफ़ान का यह असर कि लहरें उन्हें ख़ूब ऊंचा उछाल रही थीं. बहते हुए वे सब एक-दूसरे से काफी दूर चले गए. तूफ़ान की भयावहता के बीच लाइफ़ जैकेट के भरोसे पानी में डूबते-उतराते हुए ज़िंदगी की आस छोड़ चुके थे. [….]
तीस मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाने की वजह सन् 1826 में इसी तारीख़ को देश में हिंदी के पहले अख़बार ‘उदन्त मार्तण्ड’ के प्रकाशन की स्मृति है. कलकत्ते से छपना शुरू हुए इस हफ़्तावार अख़बार की उम्र हालांकि बहुत लंबी नहीं रही [….]
हर नाम का कोई अर्थ होता है और नाम रखने वाले के लिए उसका ख़ास महत्व भी. बेचन, सनीचर, घुरई, हवलदार, वकील सरीखे नाम ऐसे ही महत्व का नमूना हैं. ‘नाम में क्या रखा है’ का जुमला शेक्सपियर के नाटक के लिए ठीक हो सकता है, असल ज़िंदगी में नाम मानी-ख़ेज़ होते ही हैं. [….]
घाटमपुर | शहर के मुगल रोड पर टैंकर रोक कर ऑक्सीज़न बर्बाद करने वाले ड्राइवर के बारे में अब कुछ पता नहीं चल सका है. अफ़सर इस मामले में कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी से बच रहे हैं. [….]
कछुआ हमारी कहानी में ख़रगोश से दौड़ में जीता प्राणी भर नहीं है, और न ही धीमी गति की वजह से उलाहना का प्रतीक. यह दुनिया की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में एक माना जाता है. [….]
महोबा | पहाड़ों के इर्द-गिर्द बसे बुंदेलखंडी शहर महोबा का पनवाड़ी कस्बा. यहीं के हैवतपुरा मोहल्ले में कुम्हारों के कम से कम दो सौ परिवार रहते हैं. हालांकि इनमें से तीस परिवार ही बचे हैं, जिनका अपने पेशे से रिश्ता बरक़रार है. बाक़ी दूसरे रोजगार में लग गए या फिर नौकरीपेशा हुए. [….]
टिहरी गढ़वाल के उस छोटे-से गाँव मरोड़ा में आमतौर पर बाहर के लोग दिखाई नहीं देते थे, यही वजह है कि धोती-कुर्ता और टोपी पहने, हाथ में संदूकची थामे उस अजनबी नौजवान को देखकर मैदान में खेल रहे बच्चों में कौतूहल जागा. खेलना छोड़-छाड़कर बच्चों भागकर उस अजनबी के पास पहुंच गए. [….]
लगभग महीने भर बाद फिर दफ़्तर जाना शुरू हो गया है. मेरे साथ साथ मां और बेटी की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है. दिल में सुकून है. लेकिन ये सुकून ख़ुशी से आवृत न होकर भय, आशंका और संत्रास घिरा है. [….]