दुनिया बदली है, थारू भी बदल गए हैं. सदियों से जो कुछ उनकी पहचान बना रहा, पिछले दो-ढाई दशकों में वह सब बदल चुका है. थारू तो हैं मगर उनका थारूपन जाता रहा. यों पक्के घरों से दूर भागने वाले थारू अब मिट्टी के घरों से बचने लगे हैं. [….]
मुंबई से आने वाली रेलगाड़ियों में इन दिनों फ़ैज़ाबादियों की तादाद बढ़ गई है. गर्मियों की शुरुआत के साथ पूर्वांचल लौटने वाले यों भी ज्यादा होते हैं. ब्याह-गौने के दिन जो शुरू होने वाले हैं. मगर इन चेहरों पर उत्सव का उल्लास नहीं, सफ़र की थकान भी नहीं, सब कुछ छीन लिए जाने की उदासी दिखती है. [….]
ओडिसा में पुरी के समुद्र तट पर सुदर्शन पटनायक का यह शिल्प उनका संदेश भी है – आइए हम सब अपनी ज़िम्मेदारी भी निभाएं. घबड़ाइए नहीं. संक्रमण से बचाव के लिए समुचित ऐहतियात ज़रूरी है.’
फ़ोटोः ट्वीटर
ख़रीदारी और समझदारी: इस दौर में जब ऑनलाइन ख़रीदारी को समझदारी का पर्याय मान लिया गया है, इसके ख़तरों से चेताने वाले वाक़ये भी पता चलते रहते हैं. [….]
इस साल तीन ऐसे हादसे हुए, जिनमें ज़हरीली शराब पीने से तमाम लोगों की जान चली गई – कुशीनगर, सहारनपुर और फिर बाराबंकी में. मजदूर तबक़े के लोग ही इन हादसों का शिकार होते हैं, इस बार भी हुए. [….]